सुप्रीम कोर्ट का आदेश- जंतर मंतर और वोट क्लब पर धरना प्रदर्शन बैन करना गलत

उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि संसद भवन के निकट बोट क्लब और जंतर मंतर जैसे स्थलों पर धरना और प्रदर्शन करने पर ‘‘ पूर्ण प्रतिबंध ’’ नहीं लगाया जा सकता। न्यायालय ने केन्द्र को निर्देश दिया कि ऐसे आयोजनों को मंजूरी देने के लिये दिशा निर्देश तैयार किये जायें। न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि विरोध प्रकट करने और शांतिपूर्ण तरीके से रहने के नागरिकों के अधिकार में टकरावों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है। पीठ ने मजदूर किसान शक्ति संगठन तथा अन्य की याचिकाओं पर अपने फैसले में कहा , ‘‘ जंतर मंतर और बोट क्लब (इंडिया गेट के निकट) जैसे स्थानों पर विरोध प्रदर्शन करने पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। ’’ इसके साथ ही न्यायालय ने केन्द्र को इस मामले में दिशा निर्देश बनाने का निर्देश दिया ।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने पिछले साल पांच अक्तूबर को जंतर मंतर और बोट क्लब जैसे स्थानों पर विभिन्न मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन और धरना के आयोजन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। अधिकरण का मत था कि इस तरह की गतिविधियों से पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन होता है। ये स्थल अनेक आन्दोलनों और जनसमस्याओं को उजागर करने के लिये आयोजित रैलियों के गवाह रहे हैं।

अधिकरण ने कहा था कि शासन जंतर मंतर रोड क्षेत्र में नागरिकों के प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के अधिकार की रक्षा करने में बुरी तरह विफल रहा है। अधिकरण ने प्राधिकारियों को धरना प्रदर्शन के लिये वैकल्पिक स्थल के रूप में तत्काल अजमेरी गेट के निकट रामलीला मैदान में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

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