सुप्रीम कोर्ट के नजरबंदी के आदेश के बाद घर पहुंचे वरवर राव

वामपंथी रुझान वाले जिस तेलगु कवि और लेखक वरवर राव को पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित तौर पर संबंध होने के चलते गिरफ्तार किया था, वह उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार गुरुवार सुबह अपने घर पहुंच गए। उच्चतम न्यायालय ने कल आदेश दिया था कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के संबंध में 28 अगस्त को गिरफ्तार किए गए पांच कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक उनके घर में ही नजरबंद रखा जाए। राव की पत्नी हेमलता ने बताया, पुणे पुलिस आज सुबह सात बजे उन्हें घर पहुंचा गई है। शहर में उन्हें विमान से लाया गया। उन्होंने आगे बताया कि पुलिस उनकी बेटियों और दामादों को छोड़कर किसी को भी घर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दे रही है।

पीटीआई ने जब राव से बात करने की कोशिश की तो उनकी पत्नी ने बताया कि पुलिस के अनुसार उन्हें मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं है। पुलिस उपायुक्त (मध्य क्षेत्र) विश्व प्रसाद ने एक संदेश में कहा कि राव की नजरबंदी हैदराबाद पुलिस की देखरेख में होगी। इससे पहले, इसे लेकर संशय की स्थिति थी कि नजरबंदी को स्थानीय पुलिस देखेगी या फिर पुणे पुलिस।

चिक्कादपल्ली के पुलिस निरीक्षक एस भीम रेड्डी ने बताया, ‘हम हमेशा पुणे पुलिस के साथ रहेंगे।’ राव को हैदराबाद से और कार्यकर्ता वेरनन गोंसाल्विज और अरूण फरेरा को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था। जबकि ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को हरियाणा के फरीदाबाद और सिविल लिबर्टी कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नयी दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। गौरतलब है कि महाराष्ट्र पुलिस नवलखा को गिरफ्तार करना चाहती थी और उन्हें पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित ‘एल्गार परिषद’ कार्यक्रम को लेकर दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में पुणे ले जाना चाहती थी। उस कार्यक्रम के बाद कोरेगांव-भीमा गांव में हिंसा हुई थी।

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