सुप्रीम कोर्ट जज बोले- नेताओं का महाभियोग पर हल्ला दुर्भाग्यपूर्ण, पूछा, क्या मीडिया पर रोक लगा दें?

कांग्रेस समेत सात राजनीतिक दलों के मौजूदा 64 राज्य सभा सांसदों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर दस्तखत करने और उसे राज्य सभा के सभापति के पास कार्रवाई के लिए सौंपे जाने पर जहां एक तरफ सियासी रार ठन चुकी है, वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने महाभियोग पर हो रहे हल्ला-हंगामा पर नाराजगी जाहिर की है। महाभियोग पर मीडिया रिपोर्टिंग प्रतिबंधित करने की मांग से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आज (शुक्रवार, 20 अप्रैल) सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने टिप्पणी की कि महाभियोग पर पब्लिक फोरम में डिबेट दुर्भाग्यपूर्ण है और न्यायपालिका के खिलाफ नेताओं द्वारा दिए जा रहे बयान परेशान करने वाले हैं। जस्टिस ए के सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की खंडपीठ ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से पूछा कि क्या चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन लगाया जा सकता है।

पुणे के वकीलों की एक संस्था द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कहा, “हमलोग इससे परेशान हो गए हैं।” याचिका में लॉ कमीशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए महाभियोग मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि सार्वजनिक रूप से चर्चा के चलते सवालों के घेरे में आया कोई भी जज सुचारू रूप से अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकता है। इस तरह की चर्चा से न्यायपालिका की स्वतंत्रता बाधित होती है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि जबतक अटॉर्नी जनरल की राय नहीं मिल जाती तब तक अदालत मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक नहीं लगा सकती है। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अंतरिम रोक लगाने की अपील की लेकिन खंडपीठ ने उसे भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल के जवाब का इंतजार करने को कहा है। अब मामले की अगली सुनवाई 7 मई को होगी।

बता दें कि आज दोपहर कांग्रेस समेत सात विपक्षी दलों के नेताओं ने उप राष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू से मुलाकात कर महाभियोग प्रस्ताव सौंपा जिस पर मौजूदा 64 सांसदों के दस्तखत हैं। इधर, सियासी पलटवार करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस जजों को डराने की कोशिश कर रही है। कपिल सिब्बल के मुताबिक कांग्रेस समेत सात दलों के सांसदों ने इस पर दस्तखत किए हैं। इनमें एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम, बीएसपी, एसपी और मुस्लिम लीग के सांसद भी शामिल हैं।

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