सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ- चीफ जस्टिस समकक्षों में है प्रथम और उसे मामले आबंटित करने का अधिकार
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपनी व्यवस्था में कहा कि प्रधान न्यायाधीश ‘समकक्षों में प्रथम हैं’ और उन्हें मुकदमों के आबंटन के लिए विशेषाधिकार प्राप्त है। शीर्ष अदालत की यह व्यवस्था 12 जनवरी को चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेस में मुकदमों के अनुचित आबंटन का मुद्दा उठाए जाने की पृष्ठभूमि में काफी महत्वपूर्ण है। हाल ही में, पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण ने भी प्रधान न्यायाधीश के ‘रोस्टर के मुखिया’ के रूप में प्रशासनिक अधिकारों पर स्पष्टीकरण और विभिन्न बेंचों को मुकदमे आबंटित करने के लिए दिशा निर्देश प्रतिपादित करने का अनुरोध करते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की खंडपीठ ने अधिवक्ता अशोक पाण्डे की जनहित याचिका खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी। इस याचिका में बेंच गठित करने और मुकदमों के आबंटन के लिए ‘‘निर्धारित प्रक्रिया’’ का आकलन करने का अनुरोध किया गया था। पीठ ने कहा, ‘‘एक न्यायाधीश के रूप में प्रधान न्यायाधीश समकक्षों में प्रथम हैं। अपने दूसरे कार्यों के निष्पादन के मामले में प्रधान न्यायाधीश का एक विशिष्ट स्थान है और संविधान का अनुच्छेद 146 भी संस्था के मुखिया के रूप में प्रधान न्यायाधीश के पद की पुष्टि करता है।
न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़ ने पीठ की ओर से लिखे अपने फैसले में शीर्ष अदालत के 2013 के नियमों का उल्लेख किया और कहा कि इन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी से अधिसूचित किया गया था। पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन कैंपेन फार ज्यूडीशियल अकाउण्टेबिलिटी एण्ड रिफार्म्स की जनहित याचिका पर पांच सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों की वृहद पीठ गठित करने संबंधी न्यायमूर्ति चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ के आदेश को निरस्त करने संबंधी पांच सदस्यीय संविधान पीठ के फैसले का भी अपने निर्णय में उल्लेख किया है।