सुप्रीम कोर्ट ने खाली कराए थे बंगले, शिवराज सरकार ने दिग्विजय को छोड़ तीन पूर्व CM को फिर आवंटित कर दिए
मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए राज्य के चार में तीन मुख्यमंत्रियों को दोबारा वही बंगले मुहैया कर दिए हैं जो पूर्व में उनसे खाली कराए गए थे। पिछले दिनों हाईकोर्ट के फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, उमा भारती, बाबूलाल गौर और कैलाश जोशी से उनके सरकारी बंगले खाली कराए गए थे। अब सीएम शिवराज ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को वही बगंला आवंटित करने के लिए नया तोड़ निकाया है। खबर है कि राज्य सरकार ने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को ‘गणमान्य नागरिक’ का दर्जा दे दिया और वही बगंला उन्हें वापस लौटा दिया गया। इसमें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह कांग्रेस नेता है इसलिए कथित तौर पर वह गणमान्य नागरिक नहीं बन पाए। हालांकि सरकार ने इसके साथ नई व्यवस्था यह भी की है कि तीनों को अब बंगले का किराया देना होगा।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से 19 जुलाई तक बंगले खाली करा लिए जाएं। इसपर 18 जुलाई की शाम एक आदेश कर आवंटन रद्द कर दिया गया। बाद में सरकार ने पार्टी के दिग्गज नेताओं से सलाह ली, जिसके बाद नए सिरे पूर्व सीएम के आवेदन मंगवाए गए। इसमें कैलाश जोशी ने कहा कि वह समाजसेवी हैं, इसलिए उन्हें बंगले में ही रहने की सुविधा दी जाए। बाबूलाल गौर ने कहा कि वो लंबे समय विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं। आवेदन में उमा भारती ने कहा कि वो केंद्रीय मंत्री हैं उन्हें भोपाल आना जाना पड़ता है। इसलिए उन्हें बंगला मुहैया कराया जाए।
मामले में पूर्व सीएम बाबूलाल गौर ने एक न्यूज चैनल को बताया कि उन्होंने कोर्ट के आदेश के बाद बंगला खाली कर दिया था। हालांकि उन्होंने संबंधित अधिकारियों को बताया कि वो विधायक भी हैं, और विधायक को बंगला मिलता है। इसलिए गणमान्य नागरिक और विधायक के नाते वो पुराना बंगला वापस चाहते हैं। इसके लिए वो किराया देने के लिए भी तैयार हैं।
बता दें कि दूसरे राज्यों की पहल के बाद हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा से जुड़े उस प्रावधान को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उन्हें पूरी जिंदगी बिना किराए के बंगला मुहैया कराया जाए। बाद में इसके विरोध में याचिका दायर की गई, मगर कोर्ट ने फिर अपने पुरानी बात को दोहराया। इसके बाद गृह विभाग ने चारों पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवंटन को रद्द कर दिया था।