सुप्रीम कोर्ट ने यूपी, हरियाणा और राजस्‍थान की बीजेपी सरकार को लगाई फटकार- कुंभकर्ण की तरह सो रहे थे

सुप्रीम कोर्ट ने पेट कोक (पेट्रोलियम कोक) और फर्नेस ऑयल के इस्तेमाल के मामले में भाजपा शासित तीन राज्यों को कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने इसके प्रयोग पर रोक लगाने के आदेश के बाद संबंधित राज्यों की ओर से कोई जवाब दाखिल न किए जाने पर बुधवार को कड़ी नाराजगी जताई थी। इससे पहले इसी मसले पर अक्टूबर में हुई सुनवाई में तीनों राज्यों ने कहा था कि कोर्ट ने बिना किसी नोटिस के ही आदेश दे दिया था। कोर्ट ने इस पर सख्त ऐतराज जताया। जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान कुंभकर्ण की तरह सो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट पर्यावरणविद् एमसी मेहता द्वारा वर्ष 1985 में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। मेहता ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाया था। केंद्र सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे की जांच-पड़ताल के दौरान कोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी की थी। दरअसल, संबंधित तीनों राज्यों की ओर से इस पर जवाब नहीं दिया गया था। इससे नाराज पीठ ने पूछा कि, ‘आप किस आधार पर कहते हैं कि यह (आदेश) बिना किसी नोटिस के दिया गया था? यदि राज्य सरकारें सो रही हैं तो क्या उसे जगाने का दायित्व कोर्ट का है?’ पर्यावरण मंत्रालय की ओर से पेश एडिशनल सॉलीसिटर जनरल एएनएस नादकर्णी ने बताया कि केंद्र ने ऐसा कुछ (बिना नोटिस दिए आदेश देना) नहीं कहा है, बल्कि राज्यों ने ऐसा कहा है। इस पर पीठ ने कहा, ‘वे ऐसा कैसे कह सकते हैं? वे दोषारोपण करना तो शुरू कर देते हैं और खुद कुंभकर्ण की तरह सो रहे हैं।’ राजस्थान की ओर से पेश एडिशनल सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात को वापस लेने को लेकर कोर्ट को आश्वस्त किया। हरियाणा और उत्तर प्रदेश के वकीलों ने भी इस बाबत हलफनामा दाखिल करने की बात कही है। कोर्ट ने दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

पीठ ने 24 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में पेट कोक और फर्नेस ऑयल के इस्तेमाल पर एक नवंबर से रोक लगाने का फैसला दिया था। इसके बाद से उत्तर प्रदेश और राजस्थान की ओर से वकील पेश ही नहीं हुए। शीर्ष अदालत ने कहा था कि हरियाणा की ओर से पेश अधिवक्ता ने सुनवाई के दौरान मोबाइल फोन पर राज्य सरकार से निर्देश लेने के लिए समय मांगा था, जबकि ऐसा सुनवाई से पहले ही कर लेना चाहिए था।

 

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