सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा, बेहद सुरक्षित हैं आधार डाटा

केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आधार डाटा बेहद सुरक्षित हैं। आधार के बूते भ्रष्टाचार के खात्मे के गंभीर प्रयास किए गए हैं। आधार से सब्सिडी, सेवाओं और लाभ के लिए वास्तविक लोगों की पहचान में मदद मिलेगी और फर्जी पैनकार्ड जैसी समस्याएं खत्म होगी। साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली की गड़बड़ियां भी दूर होंगी। केंद्र की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाले पांच न्यायाधीशों के संवैधानिक पीठ को बताया कि केंद्रीय पहचान डाटा भंडार (सेंट्रल आइडेंटिटीज डाटा रिपाजिटोरी) में आधार डाटा बेहद सुरक्षित हैं। इसकी दीवारें चार मीटर चौड़ी और दस मीटर ऊंची हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए आधार बेहद गंभीर प्रयास है। वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के सीईओ को आधार योजना से जुड़ी चिंताओं को निर्मूल साबित करने के लिए अदालत में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन देने की अनुमति दी जाए।

भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने आधार और आधार को मंजूरी देने वाले कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह पांच सदस्यीय संविधान पीठ के अन्य न्यायाधीशों से विचार-विमर्श करने के बाद प्रेजेंटेशन का समय तय करेंगे। इस संविधान पीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मिश्रा हैं। पीठ ने कहा कि आधार योजनाओं से जुड़े कई तकनीकी मामले हैं, जैसे सर्विलांस, डेटा सुरक्षा और आधार नहीं होने या आधार की अनुपलब्धता के कारण कुछ लोगों को लाभ से वंचित रखना। केंद्र की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि यूआइडीएआइ के सीईओ इन तकनीकी पहलुओं पर ज्यादा स्पष्टता से जानकारी दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के दो पहलू हैं। एक में भोजन का अधिकार और शिक्षा का अधिकार आता है जबकि दूसरा स्वविवेक के अधिकार और निजता के अधिकार से जुड़ा है। सवाल यह है कि कौन सा पहलू मान्य होता है। उन्होंने कहा कि जीवन के अधिकार जैसे मौलिक अधिकारों को स्वविवेक और निजता के अधिकार पर तरजीह दी जानी चाहिए।

वेणुगोपाल ने कहा कि आधार से न सिर्फ विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान में मदद मिलेगी बल्कि इससे भ्रष्टाचार खत्म करने में मदद और पारदर्शिता भी आएगी। पीठ के समक्ष दिए गए नोट में सरकार ने कहा कि भ्रष्टाचार की वजह से जरूरतमंदों तक सरकारी लाभ पहुंचने में देरी होती है और इसकी गति धीमी हो जाती है। वेणुगोपाल ने कहा, ‘मेरे मुताबिक, सभी स्तर पर अगर लोगों की सोच नहीं बदलेगी तो कुछ भी सफल नहीं होगा। कई देश जिन्हें भारत के बाद स्वतंत्रता हासिल हुई, वे भ्रष्टाचार सूचकांक में भारत से बेहतर स्थिति में हैं। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब यह है कि भ्रष्टाचार के जरिये लाभ पाने वाले परिवारों द्वारा इसे दाग के तौर पर नहीं देखा जाता है।’ नोट में कहा गया, ‘इसलिए, योजनाओं के अंतर्गत लाभार्थियों को लक्षित करने की प्रक्रिया सुधारने और आपूर्ति व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए इसकी जरूरत महसूस की गई। आधार की परिकल्पना मूलत: उपरोक्त दोनों समस्याओं के जवाब और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को सफल रूप से लागू करने के लिए की गई थी।’

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