सूर्य सप्तमी 2018 पूजा विधि: सूर्योदय से पहले किया गया स्नान माना जाता है लाभकारी, जानें क्या है व्रत विधि
रथ सप्तमी का व्रत भगवान सूर्य देव को समर्पित किया जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्य देव की आराधना के लिए व्रत किया जाता है। रथ सप्तमी को सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी, आरोग्य सप्तमी आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन व्रत, स्नान, दान, पूजन आदि सत्कर्मों से फल हजार गुना बढ़ जाता है। रविवार सूर्य का दिन होने के कारण इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है। इस वर्ष सप्तमी का व्रत 24 जनवरी 2018, बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन स्नान का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 29 मिनट से शुरु होकर सुबह के बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
रथ सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। रथ सप्तमी के लिए मान्यता है कि इस दिन अरुणोदय के समय ही स्नान किया जाता है। मान्यता है कि इस समय स्नान करने ससे व्यक्ति के शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। इसी कारण से रथ सप्तमी को आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय में भक्त सूर्य को अर्घ्यदान देते हैं। इस दान का अनुष्ठान सूर्य भगवान को कलश से धीरे-धीरे जल अर्पण किया जाता है। इस अनुष्ठान के दौरान भक्तों को नमस्कार मुद्रा में रहना चाहिए और सूर्य देव को नमस्कार करना चाहिए।
सूर्य देव की पूजा के लिए घी का दीपक और लाल फूलों के साथ पूजा की जाती है। मान्यता है कि सभी विधि-विधान के साथ पूजा करने पर सूर्य देव दीर्घायु और सफलता का वरदान देते हैं। रथ सप्तमी के दिन कई घरों में महिलाएं सूर्य देव के स्वागत के लिए उनका और उनके रथ का चित्र बनाती हैं। इस दिन रंगोली बनाने का भी महत्व होता है। सूर्य सप्तमी के दिन व्रत करने वाले लोगों को पंचमी तिथि को एक समय भोजन करना चाहिए और षष्ठी तिथि को व्रत करके भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए। सप्तमी में प्रातः काल विधिपूर्वक पूजा करके ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।