सृजन घोटाला: एक मामले में सीबीआई ने दायर की चार्जशीट, पर चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म जांच के दायरे से बाहर
सैकड़ों करोड़ रुपए के सृजन घोटाले से जुड़े एक मामले में सीबीआई ने पटना की अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया, जिसमें छह लोगों को आरोपी बनाया है। इनमें से 4 लोग 12 अगस्त से जेल में बंद हैं। सीबीआई के वकील एएच खान के मुताबिक, इन सब पर भ्रष्टाटाकर निवारण अधिनियम के तहत ट्रायल सीबीआई की विशेष अदालत में होगा। यह आरोप पत्र सीबीआई की दर्ज एफआईआर आरसी 13 ए /2017 के सिलसिले में है। जो भूअर्जन महकमा में 370 करोड़ रुपए के घपले से संबंधित है। सीबीआई ने इस मामले में सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की प्रबंधक सरिता झा, बैंक ऑफ बड़ौदा के अवकाश ग्रहण मुख्य प्रबंधक अरुण कुमार सिंह, इंडियन बैंक के लिपिक अजय कुमार पांडे, भूअर्जन के लेखाकार (नाजिर) राकेश कुमार झा समेत छह लोगों को आरोपी बनाया है।
इन चारों को पुलिस की एसआईटी ने शुरुआती जांच में ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। दो अन्य में भूअर्जन के पूर्व अधिकारी राजीव रंजन सिंह हैं। इनका फरार रहते हुए 31 अगस्त को अवकाश ग्रहण हो गया। दूसरे बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंधक वरुण कुमार सिंह हैं। इनकी भी अभी गिरफ्तारी नहीं हुई है। सृजन से जुड़ी अबतक 21 एफआईआर दर्ज हुई हैं जिनमें एक सहरसा और दो बांका जिले की भी हैं। सीबीआई ने 15 मामले जांच के लिए अब तक अपने हाथ में लिए हैं। कुल 18 सरकारी, बैंक व सृजन से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को पुलिस की एसआईटी ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है जिनमें एक कल्याण महकमा के नाजिर महेश मंडल की मौत हो चुकी है।
सीबीआई इन सबके खिलाफ आरोप पत्र अदालत में दायर करने की हड़बड़ी में है। ताकि 90 दिनों का फायदा जमानत कराने में इन्हें न मिल सके। ये सभी 17 लोग सीबीआई जज के आदेश से भागलपुर की जेल में बंद हैं। सूत्र बताते हैं कि पंचायत स्तर पर ऑडिट का काम चल रहा है और एफआईआर भी दर्ज की जा सकती है। मगर प्रखंड, अंचल या पंचायत स्तर तक की अंकेक्षण का काम करने वाली चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म को अब तक सीबीआई ने जांच के दायरे से बाहर क्यों रखा है? यह समझ से परे है। इन फर्मों ने अपनी अंकेक्षण रपट में क्लीन चिट दे दी थी। जबकि करोड़ों के घोटाले का हिसाब-किताब मिलाने पर गड़बड़ी सामने आई है और बाकायदा एफआईआर दर्ज कराई गई है।