सेना को लेकर गलत ट्वीट करने पर फंसीं बीबीसी की संपादक, पासपोर्ट जब्त कर ‘देश’ छोड़ने को कहा

कुपोषण से जूझ रहे पापुआ प्रांत में इंडोनेशियाई सेना की मदद मुहिम को लेकर कथित आपत्तिजनक ट्वीट करने के मामले में बीबीसी की इंडोनेशिया संपादक रेबेका एलिस हेंसक फंस गई। इंडोनेशिया की सरकार ने उनका पासपोर्ट जब्त करने के साथ पापुआ प्रांत को छोड़ने का हुक्म जारी किया है। रेबेका कुपोषण फैलने पर पापुआ में न्यूज कवरेज के मिशन पर थीं। संपादक को फॉरेन वॉच टीम की निगरानी में रखा गया है।  हुआ दरअसल यूं कि एक फरवरी को रेबेका ने कुछ ट्वीट किए, जिसमें पापुआ में इंडोनेशियाई सरकार की ओर से कुपोषण प्रभावित परिवारों की मदद को लेकर आलोचना की थी। उन्होंने राहत सामग्री  की तस्वीर के साथ ट्वीट करते हुए कहा था कि-“मदद के नाम पर सिर्फ नूडल्स, मिठाई, शीतलपेय और बिस्कुट ही शामिल हैं। इस ट्वीट को इंडोनेशियाई सेना ने गंभीरता से लिया और बयान जारी कर इसे जवानों की भावना को ठेंस पहुंचाने वाला बताया।”

साथ ही सेना ने कहा कि पत्रकार की ओर से किया गया ट्वीट गलत है। क्योंकि जिसे वह राहत सामग्री बता रहीं हैं, वह व्यापारियों का माल था, जो संयोग से वहां पहुंच गया था। सेना ने पत्रकार के अन्य ट्वीट को भी भ्रामक करार दिया। बाद में जब हंगामा मचा तो रेबेका ने ट्वीट में जोड़ा- “सूत्र बता रहे हैं कि यह राहत सामग्री नहीं है बल्कि सामान्य आपूर्ति है। यहां बड़े स्तर से राहत पहुंचाई जा रही है। ” पापुआ, अस्मत में कुपोषण और खसरे से 61 शिशुओं के मरने की खबर के बाद पीड़ितों की मदद के लिए इंडोनेशिया ने अतिरिक्त सैन्यकर्मियों को तैनात किया है।बता दें कि रेबेका ऑस्ट्रेलियन पत्रकार हैं, वे 2006 से इंडोनेशिया से जुड़े मामले कवर रहीं हैं। फिलहाल बीबीसी इंडोनेशिया की संपादक हैं। उनके ट्वीट पर सेना की ओर से आपत्ति जताए जाने के बाद इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने पासपोर्ट जब्त कर लिया है। इमिग्रेशन डायरेक्टोरेट जनरल के प्रवक्ता अगुंग संपुर्णो ने लिखित बयान में कहा कि- पत्रकार के ट्वीट ने सरकार, इंडोनेशिया के साथ पत्रकारिता के पेशे को अपमानित किया। राष्ट्रीय अप्रवासन नीति एक चयनात्मक नीति होती है। जो लोग इंडोनेशिया के लिए लाभदायक होते हैं, उन्हें ही सरकार रहने की इजाजत देती है। प्रवक्ता ने बताया कि बीबीसी की पत्रकार फॉरेनर्स वॉच टीम की निगरानी में हैं।

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