सैनिक क्यों करते हैं आत्महत्या, कारण जानने को रिसर्च करेगी बीएसएफ
पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती भारत की सीमाओं की रक्षा करने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अपने जवानों द्वारा आत्महत्याओं करने के विभिन्न कारणों का विश्लेषण करने और इनमें कमी लाने के वास्ते एक कार्ययोजना तैयार करने के लिए एक अनुसंधान शुरू किया है। करीब 2.5 लाख र्किमयों वाले देश के इस सबसे बड़े सीमा रक्षक बल ने इसके साथ ही एक कल्याण अनुपात मूल्यांकन परीक्षण शुरू करने का निर्णय किया। इससे पहले गत वर्ष इस विषय पर शुरू की गई प्रारंभिक परियोजना सफल रही थी। बीएसएफ महानिदेशक के. के. शर्मा ने पीटीआई से एक साक्षात्कार में कहा कि बल में आत्महत्याओं के मुद्दे की ‘‘पहचान’’ एक प्राथमिकता वाले कार्यक्षेत्र के तौर पर की गई है और इन पर रोक लगाने और कमी लाने के लिए विभिन्न कदम उठाये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘गत पांच वषों में बीएसएफ में हुई आत्महत्याओं पर एक अनुसंधान किया जा रहा है। यह अनुसंधान उन कारणों का पता लगाएगा कि ये क्यों हुईं और क्या इसमें कोई आम कारक है?’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती महत्वपूर्ण सीमाओं की रक्षा करने वाले बीएसएफ में इस संबंध में एक अध्ययन पहले ही पूरा किया जा चुका है और इसके अंतिम निष्कर्षों को बल में नीतिगत उपाय के तौर पर लागू किया जाएगा।
एक आधिकारिक आंकड़े के अनुसार गत पांच वर्षों में बीएसएफ में कुल 173 कर्मियों ने आत्महत्या की जबकि इस वर्ष ऐसी 11 मौतें हुई हैं। ये आंकड़े इस अवधि के दौरान ड्यूटी के दौरान होने वाली मृत्यु के आंकड़ों से कहीं अधिक हैं। बल के जवान भारत..पाकिस्तान और भारत…बांग्लादेश सीमाओं पर दुर्गम और कठोर जलवायु वाले इलाकों में लंबे समय तक तैनात रहते हैं जहां वे अपने परिवारों को साथ नहीं रख सकते। बीएसएफ प्रमुख ने इसके साथ ही कहा कि गत वर्ष शुरू की गई कल्याण अनुपात मूल्यांकन परीक्षण की पायलट परियोजना सफल रही है और अब इसे जवान एवं अधिकारियों के वार्षिक चिकित्सकीय परीक्षण से जोड़ा जाएगा।