सोनिया की बुलाई बैठक में जुटे 17 विपक्षी दल

कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दलों ने लोकसभा के आगामी चुनाव में केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए लामबंदी तेज कर दी है। संसद के बजट सत्र में सरकार को एकजुट होकर घेरने के बहाने संयुक्तप्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा गुरुवार को बुलाई गई विपक्ष की इस बैठक में 17 दलों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव में एकजुट होने वाले इन तमाम दलों के एक बार फिर से सोनिया की अगुआई में इकट्ठा होने से ऐसे संकेत मिले कि लोकसभा के आगामी चुनाव में कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दलों का साझा मोर्चा बनाने की कवायद रंग ला सकती है। संसद की लाइब्रेरी में गुरुवार को हुई इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे, राकांपा प्रमुख शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, राजद के जय प्रकाश नारायण यादव, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, भाकपा महासचिव डी राजा और सपा के रामगोपाल यादव इस बैठक में शरीक हुए।

पिछले साल कांग्रेस अध्यक्ष पद त्यागने के बाद सोनिया की अध्यक्षता वाली यह प्रथम बैठक है। कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद भी वह कांग्रेस संसदीय दल और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की नेता बनी हुई हैं। सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उनकी अगुआई में विपक्षी मोर्चा बनाने को लेकर शरद पवार, ममता बनर्जी सहित कुछ अन्य विपक्षी नेता असहज थे।

राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता ने राहुल को बधाई तो दी लेकिन यह भी कहा कि वह युवा हैं और उन्हें अभी अनुभव लेने की जरूरत है। दूसरी ओर शरद पवार ने अपने स्तर पर विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम शुरू कर दी थी। पिछले दिनों उन्होंने अपने दिल्ली आवास पर चाय पर कुछ विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई थी। उन्होंने बजट सत्र के आरंभ में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद सोनिया और राहुल से मुलाकात भी की थी। लेकिन उनकी बुलाई बैठक में ज्यादा विपक्षी दल नहीं पहुंचे।

सियासी पंडितों का यह मानना है कि अब सोनिया गांधी ने तमाम विपक्षी दलों को एक मंच पर इकट्ठा कर संकेत दे दिया है कि संसद से लेकर सड़क तक भाजपा का मुकाबला करने के लिए बनने वाले विपक्षी मोर्चे की अगुआई कांग्रेस ही करेगी। दूसरी ओर खुद ही आगे आ कर, उन्होंने राहुल को लेकर कद्दावर विपक्षी क्षत्रपों की असहजता की दलील को भी खारिज कर दिया है।

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