सोमनाथ चटर्जी को याद कर रो पड़ीं लोकसभा स्‍पीकर सुमित्रा महाजन, रूंधे गले से यह कहा

दिग्गज नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के निधन पर वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बेशक चटर्जी और उनकी विचारधारा अलग-अलग थी। मगर जिस तरीके से वो मुद्दे उठाते थे और सदन में नियमों का अलग-अलग इस्तेमाल करते थे। यह सब उन्हें ही करते हुए देखते थे और समझते थे। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें सोमवार (13 अगस्त, 2018) सुबह ही चटर्जी के निधन के बारे में जानकारी मिली। हालांकि जिस वक्त वह न्यूज एजेंसी एएनआई के रिपोर्टर से यह बात कह रही थीं तब अपने आंसू नहीं रोक पाईं। इस दौरान उन्होंने रूंधे हुए गले से कहा, ‘माननीय सोमनाथ चटर्जी के निधन के बारे में आज सुबह ही मुझे मालूम पड़ा। वास्तव में वह बिग ब्रदर थे, मेरे लिए भी। हमारी विचारधारा अलग-अलग रही, लेकिन विचारधारा अलग होने के बाद भी जबसे मैंने 1989 में लोकसभा में कदम रखा, तब से मैं सोमनाथ चटर्जी को काम करते हुए देखती थी। जिस तरह से वो मुद्दे उठाते थे। जिस तरह नियमों का अलग-अलग उपयोग करते हुए मुद्दों को उठाना कैसे है, ये सब उनसे ही समझते थे।’

लोकसभा अध्यक्ष ने आगे कहा, ‘लोकसभा में उनका स्पीकर का कार्यकाल मेरे लिए तो मार्गदर्शक के रूप में था। उन्होंने स्थापित किया कि संसद भवन ही सबसे ऊपर है। स्पीकर को भी नियम के मुताबिक काम कैसे करना चाहिए, यह सब उन्होंने बताया। जब मैं जोर से चिल्लाती थी तब वो कहते थे, ‘नहीं’ तुम ऐसा मत करो। यह तुम्हारे व्यक्तित्व के लिए अच्छा नहीं है। एक तरह से वो मुझे बड़े भाई के रूप में गाइड करते थे।’

बता दें कि सोमवार (13 अगस्त, 2018) को एक प्राइवेट हॉस्पिटल में दिल का दौरा पड़ने से सोमनाथ चटर्जी का निधन हो गया। करीब 89 साल के चटर्जी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बेलेव्यू क्लीनिक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रदीप टंडन ने बताया कि उनका निधन सुबह 8.15 बजे हुआ। उन्होंने बताया कि चटर्जी की हालत रविवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद से काफी गंभीर थी। उन्हें किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारी भी थी। सात अगस्त को क्लीनिक में उन्हें हालत में भर्ती कराया गया था।

गौरतलब है कि 2010 में रिलीज हुई पूर्व लोकसभा अध्यक्ष की किताब ‘Keeping The Faith: Memoirs Of A Parliamentarian’ खासी चर्चा में रही थी। इस किताब में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए आपातकाल का भी जिक्र विस्तार से किया है। एक वाक्या याद करते हुए किताब के जरिए उन्होंने बताया कि इमरजेंसी के दम घुटते वातारण की वजह से वहां से दूर जाना चाहते थे। उन्होंने पासपोर्ट की वैधता समाप्त होने पर पासपोर्ट ऑफिस में नवीकरण के लिए आवेदन किया, मगर पासपोर्ट वापस नहीं लौटाया गया।

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