सोहराबुद्दीन केस: अमित शाह को बरी करने के खिलाफ दायर याचिका का विरोध करेगी सीबीआई
सीबीआई ने मंगलवार को कहा कि वह सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आरोप मुक्त करने के उसके फैसले के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका का विरोध करेगी। पिछले हफ्ते बंबई लॉयर्स एसोसियेशन द्वारा दायर जनहित याचिका में यहां की एक विशेष अदालत द्वारा शाह को आरोप मुक्त करने के 30 दिसंबर, 2014 के आदेश को चुनौती ना देने की सीबीआई की कार्रवाई को गैरकानूनी, मनमाना और दुर्भावनापूर्ण बताया गया। सीबीआई के वकील अनिल सिंह ने उच्च न्यायालय में कहा, ‘‘हम याचिका का विरोध कर रहे हैं। आरोपमुक्त करने का आदेश दिसंबर, 2014 का है, इसे लेकर समयसीमा का मुद्दा है।’’
न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और भारती दांगरे की एक खंडपीठ ने सीबीआई वकील के समय मांगने पर याचिका को लेकर जिरह सुनने के लिए 13 फरवरी की तारीख तय की। याचिककर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने पीठ से कहा कि याचिका में उच्च न्यायालय प्रशासनिक समिति से इस बात के भी रिकॉर्ड मांगे गए हैं कि मामले में शुरुआत में जिस सीबीआई न्यायाधीश को सुनवाई का जिम्मा सौंपा गया था, उनका तबादला क्यों किया गया।
याचिका में कहा गया, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि प्रशासनिक समिति यह भी सुनिश्चत करेगी कि एक ही अधिकारी मामले में शुरुआत से अंत तक सुनवाई करेगा।’’ इस पर न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने कहा, ‘‘हम यह याचिकाकर्ता पर छोड़ देते हैं लेकिन हमें लगता है कि संस्थान (उच्च न्यायालय) को जहां तक संभव हो, दूर रखा जाना चाहिए। हम वकील दवे से इस पर उचित फैसला लेने का अनुरोध करते हैं।’’ याचिका में उच्च न्यायालय से शाह को आरोपमुक्त करने के सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए सीबीआई को एक पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्देश देने की अपील की गई।
याचिका में कहा गया, ‘‘सीबीआई एक प्रमुख जांच एजेंसी है। उसकी अपनी कार्रवाइयों में कानून का पालन करने की सार्वजनिक जिम्मेदारी है जिसमें पूरी तरह नाकाम रही।’’ इसमें आरोप लगाया गया कि निचली अदालत ने इसी तरह से राजस्थान पुलिस के दो उपनिरीक्षकों हिमांशु सिंह एवं श्याम सिंह और गुजरात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी एन के अमीन को आरोपमुक्त किया था। याचिका के अनुसार, ‘‘याचिकाकर्ता को पता चला कि सीबीआई ने उन्हें आरोपमुक्त करने को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। आरोपी व्यक्तियों को आरोपमुक्त करने को सीबीआई द्वारा चयनात्मक आधार पर चुनौती देना मनमाना, अतार्किक और दुभार्वनापूर्ण है।’’