स्वच्छ सेस घोटाला! जिस फंड में जाने चाहिए थे, वहां पहुंचे ही नहीं 4000 करोड़ रुपये

पिछले दो वर्षों में सरकार ने स्वच्छता योजनाओं के लिए 16400 करोड़ रुपये बतौर स्वच्छ भारत सेस वसूल किए, लेकिन महालेखा और नियंत्रक परीक्षक (सीएजी) ने बताया कि इस रकम का करीब एक चौथाई हिस्सा इसके जमा किए जाने वाले कोष में ही नहीं पहुंचा। सरकार स्वच्छता योजनाओं के लिए लोगों से 0.5 फीसदी सेस वसूलती है, जिसे राष्ट्रीय स्वच्छ कोष में जमा कराया जाता है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक करीब 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम इस कोष में नहीं पहुंची।

कैग ने बताया कि सेस के रूप में वसूली गई कुल रकम 12400 करोड़ रुपये यानी करीब इसका 75 फीसदी हिस्सा स्वच्छता कोष में डाला गया और पिछले दो वर्षों में इससे जुड़ी योजनाओं के लिए खर्च किया गया। तय प्रावधानों के मुताबिक इस रकम का 80 फीसदी हिस्सा गांवों और 20 फीसदी हिस्सा शहरों में स्वच्छता कार्यक्रमों को चलाने के लिए आवंटित किया जाना था। लेकिन केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने इसके इस्तेमाल के लिए तय किए गए प्रावधानों को नहीं माना और शहरों को अनदेखा कर केवल गावों के लिए पूरी रकम खर्च की। कैग ने बताया कि दूसरी योजनाओं को लेकर भी सेस के ऐसे ही और मामले सामने आए हैं।

विपक्षी पार्टियां इससे पहले सरकार को संसद में सेस का सही से इस्तेमाल न किए जाने को लेकर घेर चुकी हैं और इस मामले में सरकार से जवाब भी मांगती रही हैं। कैग ने भी कहा है कि सेस के तहत वसूल की गई बड़ी रकम का सही से इस्तेमाल न किए जाने से वह उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है, जिसके तहत योजनाओं की नींव रखी गई।

पिछले हफ्ते संसद में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक कैग ने सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी सेस को लेकर भी कैग ने चेताया था। इसके अलावा रिचर्स और डिवेलपमेंट सेस, राष्ट्रीय सड़क कोष में जमा किए जाने वाले सेस को लेकर भी गड़बड़ियां सामने आई हैं।

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