हरिवंश की अग्निपरीक्षा: उपसभापति बनने के अगले ही दिन सदन में हंगामा, घंटेभर में दो बार स्थगित की कार्यवाही
राज्य सभा के नव निर्वाचित उप सभापति हरिवंश के लिए शुक्रवार (10 अगस्त) का दिन चुनौती भरा रहा। जैसे ही संसद का कार्यवाही शुरू हुई, राज्यसभा का आसन संभाल रहे उप सभापति हरिवंश का विपक्षी सांसदों ने हंगामे से उनका स्वागत किया। कांग्रेसी सांसदों ने राफेल डील का मुद्दा उठाया तो दूसरे दलों के नेताओं ने तीन तलाक बिल पेश करने का विरोध किया और कहा कि शुक्रवार का दिन प्राइवेट बिल के लिए तय है। ऐसे में तीन तलाक बिल कैसे पेश किया जा सकता है। विपक्षी सांसदों ने सदन में शोर-शराबा करना शुरू कर दिया। यह देखते हुए उप सभापति ने सदन को पहले पांच मिनट के लिए फिर दोबारा दोपहर 2.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। बता दें कि मानसून सत्र का आज अंतिम दिन है। केंद्र सरकार तीन तलाक बिल के अलावा कुछ और अहम बिल को सदन से पास कराना चाहती है मगर विपक्ष बिल पेश नहीं करने देने पर अड़ा हुआ है। सदन में हंगामे को देखते हुए बाद में सभापति वेंकैया नायडू को खुद सदन का संचालन करना पड़ा पर हंगामा नहीं थमा। हारकर सदन 2.30 बजे तक कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि शुक्रवार को प्राइवेट बिलों पर चर्चा होती है, ऐसे में सरकार तीन तलाक बिल कैसे ला सकती है? उनके अलावा कांग्रेस के आनंद शर्मा, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने भी तीन तलाक बिल पेश करने का विरोध किया और संसदीय परंपरा का अनुपालन करने का अनुरोध किया। कांग्रेस ने राज्य सभा के अलावा लोकसभा में भी राफेल डील पर हंगामा किया और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इस मामले की जांच कराने की मांग की है। हंगामे की वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
एक दिन पहले ही गुरुवार (09 अगस्त) को मोदी मंत्रिमंडल ने इस बिल में संशोधन किए हैं, जिसके बाद बिल के पास होने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे पहले कांग्रेस ने इस बिल में कई तरह की कमियां बताई थीं, जिसके बाद बिल को संशोधित किया गया है। संशोधित बिल के मुताबिक अब आरोपी को मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है। इसके अलावा तीन तलाक की पीड़ित, उसके परिजन या खून के रिश्तेदार भी इसकी शिकायत करा सकेंगे। संशोधित बिल में तीन तलाक की पीड़ितों को मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है। बजट सत्र में तीन तलाक बिल लोकसभा से तो पास हो गया था लेकिन राज्यसभा ने इसे प्रवर समिति के पास भेजने की सिफारिश की थी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने बिल में कुछ संशोधनों की मांग की थी।