हर लड़की की बात सुनने लगे तो इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी नहीं चल पाएगी: बीएचयू वीसी जीसी त्रिपाठी
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में गुरुवार (21 सितंबर) को एक लड़की से छेड़खानी के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के पीछे यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर जीसी त्रिपाठी “बाहरी तत्वों” का हाथ मानते हैं। वीसी त्रिपाठी मानते हैं कि बीएचयू कैम्पस लड़कियों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है और मौजूदा विवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी यात्रा के मद्देनजर कुछ लोगों ने अपने “निहित स्वार्थों” के चलते उभारा। जीसी त्रिपाठी ने पूरे मामले से जुड़े सवालों का जवाब दिया। पढ़ें साक्षात्कार के चुनिंदा अंश-
बीएचयू के छात्रों के अनुसार परिसर में लड़कियों की सुरक्षा एक गंभीर मसला है। खासकर, गुरुवार (21 सितंबर) को एक छात्रा द्वारा यौन दुर्व्यवहार की शिकायत के बाद। छात्राएं इतना असुरक्षित क्यों महसूस कर रही हैं?
ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे इसका बहुत अफसोस है। लेकिन कई बार ऐसे मसले होते हैं और कई बार बना दिए जाते हैं। ये मसला बनाया गया है। मेरे विचार में ये मुद्दा बाहरी लोगों द्वारा खड़ा किया गया है और जैसी शक्ल इसने ले ली है वो उस घटना से भी ज्यादा दुखदायी है।
ये लोग एक झूठ को सच बनाना चाहते हैं। मासूम और अपरिपक्व मस्तिष्क इसे ही सच मान लेते हैं। विश्वविद्यालय राजनीति की जगह नहीं है। नौजवान हमेशा ही सच और न्याय के लिए खड़े हुए हैं। लेकिन यहाँ छात्र ऐसी चीज के लिए खड़े हैं जो सच लग रही है लेकिन वो झूठ है।
कुछ लोग निहित स्वार्थों से घटना को तूल दे रहे हैं। छात्रों को अगर कोई समस्या है तो उन्हें विश्वविद्यालय को इस बारे में सुझाव देना चाहिए था। लेकिन उच्च शिक्षा के संस्थानों में अव्यवस्था पैदा करने की मानसिकता इसके पीछे काम कर रही है। बीएचयू अकेला नहीं है। देश की हर यूनिवर्सिटी इसकी शिकार है।
ये दुखद है कि जिन्हें पीड़ित से संवेदना दिखानी चाहिए थी वो उनका राजनीतिक इस्तेमाल कर रहे हैं। पीड़ित ने हमसे बात की है और वो उसकी शिकायत पर उठाए गए कदम से संतुष्ट है। असल में वो इस घटना पर की जा रही राजनीति से नाखुश है।
मैं महिलाओं को परिसर में सुरक्षा देने के लिए पूरा प्रयास कर रहा हूं। हम और ज्यादा स्ट्रीटलाइटें लगवा रहे हैं और सुरक्षा गार्ड तैनात कर रहे हैं।
वो कौन लोग हैं जो यौन उत्पीड़न की घटना का राजनीतिक इस्तमाल कर रहे हैं?
पहले तो ये कि ये यौन उत्पीड़न नहीं बल्कि छेड़खानी की घटना है।
ये वो लोग हैं जो देश के लिए नहीं बल्कि अपने फायदे के लिए समर्पित हैं। वो देश या संस्थाओं के बारे में नहीं सोचते। उनके निजी हित ही सब कुछ हैं। उस दिन प्रधानमंत्री आने वाले थे, इसलिए मुझे लगता है कि ये सब कुछ कराया गया था। मुझे लगता है कि छेड़खानी की घटना इस आग में घी डालने के लिए करवाई गई।
कुछ मासूम छात्र, कुछ अपराधी कुछ अज्ञात लोग उन लोगों के साथ आ गये। इसलिए हम ये नहीं पता कर पाए कि इसकी शुरुआत किसने की। वो चाहते थे कि मैं बाहर आकर उनसे मिलूं लेकिन मैं बाजार (बीएचयू गेट) जाकर उनसे मिलता? मैं महिला महाविद्यालय जाने को तैयार था। लेकिन अपराधी तत्वों ने पेट्रोल बम और पत्थर फेंके। मैं कैसे जाता?
अगर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त है तो छात्राओं का उत्पीड़न कैसे हो रहा है? शिकायत करने वाली छात्रा का नाम कैसे सामने आ गया?
ऐसी घटनाएं होती हैं। कैम्पस में 10 हजार लड़कियां रहती हैं। हम हॉस्टल में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं, वहां कर्फ्यू टाइम (आने-जाने का समय) है। लेकिन सड़क पर कर्फ्यू टाइम नहीं है। सड़क पर ऐसी घटनाएं होती हैं। महत्वपूर्ण है कि ऐसी घटनाओं से हम कैसे निपटते हैं। ये बहुत बड़ा कैम्पस है, कहीं भी कुछ भी हो सकता है। हम हर छात्र के संग एक गार्ड नहीं लगा सकते।
ये आरोप झूठा है कि विश्वविद्यालय छात्रों की नहीं सुनता। ये झूठ कुछ छात्रों ने फैलाया है। कैम्पस में 10 हजार लड़कियां हैं जिनमें से मुट्ठीभर ऐसी शिकायतें करती हैं। हम छात्रों के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। हमने मामले की जांच के लिए हाई कोर्ट के जज नेतृत्व में एक कमेटी बनाई है।
ये अफवाह है कि कैम्पस में लड़कियां असुरक्षित महसूस करती हैं। जहां गुरुवार को ये घटना हुई वहां एम्फीथिएटर है जहां लड़कियां शॉर्ट्स पहनकर खेल खेलती हैं। उनसे पूछिए कि क्या उन्हें डर लगता है? ये कहना गलत है कि बीएचयू कैम्पस महिलाओं के असुरक्षित है। जब से मैं वीसी बना हूं ऐसी कोई घटना नहीं हुई। यहां कोई लड़की असुरक्षित नहीं है। ऐसा केवल वही लड़कियां महसूस करती हैं जो आइसा या एसएफआई की सदस्य हैं। हम सुरक्षा के लिए काफी कुछ कर रहे हैं। हम एक सिक्योरिटी सिस्टम बना रहे हैं जिसमें वरिष्ठ छात्र-छात्राएं भी सलाहकार परिषद के सदस्य होंगे।