हार्दिक पटेल को बड़ा झटका, कोर्ट ने कहा- शुरुआती सबूत पर्याप्त, करें मुकदमे का सामना
गुजरात में देशद्रोह के आरोप का सामना कर रहे पाटीदार आरक्षण के नेता हार्दिक पटेल को अदालत से बड़ा झटका लगा है। बुधवार (21 जनवरी) को एक सत्र न्यायालय ने केस को डिस्चार्ज करने के हार्दिक पटेल के आवेदन को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि पहली नजर में पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल के खिलाफ केस बनता है और उन्हें इसका सामना करना चाहिए। बता दें कि यह केस 2015 का है, जब आरक्षण की मांग को लेकर हार्दिक पटेल और उनके समर्थकों ने हिंसक आंदोलन किया था। इस दौरान बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था। हार्दिक पटेल की याचिका को खारिज करते हुए सेशन जज ने कहा, “अलग-अलग जगहों पर आरोपी (हार्दिक) का भाषण, लोगों से उसका मिलना, दूसरे सह-आरोपियों से उसके फोन पर बाचतीत का सबूत और फोरेंसिक विश्लेषण यह स्पष्ट करते हैं कि इस आरोपी और दूसरे आरोपियों ने पूर्व निर्धारित षडयंत्र के तहत दबाव बनाने के लिए धमकी दी और आतंक का माहौल पैदा किया, जिसकी वजह से प्रशासन को बल का इस्तेमाल करना पड़ा।
बता दें कि अक्टूबर 2015 में हार्दिक पटेल और उसके 5 सहयोगियों पर देशद्रोह के आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। हार्दिक पर आरोप लगाया गया कि उसने हिंसा भड़काई, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके और पाटीदार आरक्षण की उसकी मांग को सरकार से पूरा करवाया जा सके। पुलिस द्वारा पेश किये गये कॉल रिकॉर्ड में हार्दिक और उसके सहयोगी ‘पूरे गुजरात को जलाने की धमकी’, ‘सरकार को गिराने’ और ‘ट्रेनों को जलाने’ की बात कहते हुए सुने जा रहे हैं। गुजरात सरकार ने हार्दिक पटेल के डिस्चार्ज पिटीशन का विरोध किया था और कहा था कि इनके खिलाफ हाईकोर्ट ने FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया है और कहा है कि प्राथमिक रूप से इनके खिलाफ केस बनता है।
बता दें कि गुजरात के बाद अब हार्दिक प्रदेश चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में सक्रिय हो गये हैं। यहां पर हार्दिक पटेल सरकार के खिलाफ रैलियां और जनसभाएं कर रहे हैं। हार्दिक ने कहा है कि वह मध्य प्रदेश के चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।