हार के बाद संगठन को कसने की रणनीति में जुटी भाजपा
राजस्थान में दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट के उपचुनाव की हार के बाद और कांग्रेस के आक्रामक तेवरों ने भाजपा को नए सिरे से संगठन मजबूत करने पर मजबूर कर दिया है। प्रदेश के बदले हालातों से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व चिंतित हो उठा है। उपचुनाव की बुरी हार से पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता को हताशा से उबारने की रणनीति तैयार की जा रही है। पार्टी के भीतर चल रहे मंथन के दौर से निकल कर आ रहा है कि कार्यकर्ता तो मेहनत करने को तैयार है पर सरकार और संगठन के नेतृत्व को ही कार्यशैली में बदलाव की जरूरत है। राज्य में अजमेर और अलवर लोकसभा और मांडलगढ विधानसभा सीट की हार से भाजपा सरकार और संगठन अब अपनी कमजोरी तलाशने में लग गए हैं। प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने अजमेर में हार के कारणों को लेकर पदाधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लंबा संवाद किया।
अजमेर शहर में ही हुई इस बैठक में भी सामने आया कि सरकार और संगठन का नेतृत्व जमीनी हकीकत से दूर था। पार्टी का कार्यकर्ता तो कई बार स्थानीय विधायकों को सचेत करता रहा कि जनता तक किसी भी कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं पहुंच रहा है और निचले स्तर पर भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है। संगठन महामंत्री ने अजमेर में इसलिए भी बैठक की कि इस सीट के कई बूथों पर तो पार्टी को एक भी वोट नहीं मिला और सात बूथों पर तो सिर्फ एक ही वोट मिला जबकि दावा किया गया था कि हर बूथ पर 21 कार्यकर्ताओं की टीम बनाई गई है।
अजमेर और अलवर लोकसभा सीट के जिन बूथों पर पार्टी को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा वो सभी भाजपा के मजबूत इलाके में गिने जाते हैं। ऐसे में जब बूथ कार्यकर्ता अपनी ही पार्टी को वोट नहीं दे रहा है तो भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व सकते में आ गया है। इसके बाद ही संगठन महामंत्री अब मैदानी जायजा लेकर कार्यकर्ताओं की पीड़ा सुन रहे हैं। प्रदेश में पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल करने वाली भाजपा को उपचुनाव में सभी वर्गों की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। प्रदेश भाजपा के प्रभारी संगठन मंत्री वी सतीश की मौजूदगी में यहां जिला अघ्यक्ष और प्रभारियों की बैठक हुई। इस बैठक में ही जिला स्तर के नेताओं ने साफ तौर पर कहा कि कार्यकर्ता तो सरकार के कामों को लेकर मैदान में जाने से ही कतरा रहा है। सत्ता और संगठन के नेतृत्व को नए सिरे से बदलाव कर चुनावी रणनीति बनानी होगी। इसके लिए संगठन को कार्यकर्ता को तवज्जो देने की नीति अपनानी होगी। सरकार की कार्यशैली को लेकर आम आदमी में जो धारणा बन गई है उसे बदलने के लिए पार्टी को पुराने कार्यकर्ताओं को भरोसे में लेना चाहिए। विकास के कामों पर सरकार को गौर करना होगा। जनता में सरकार के प्रति बनी धारणा को तोड़ना जरूरी हो गया है। बैठक में कार्यकर्ताओं की निराशा और हताशा को लेकर ही बड़े नेताओं को आने वाले समय में परेशानी दिखने लग गई है।
दूसरी तरफ विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण की बहस के जवाब में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रतिपक्ष को जमकर घेरा। राजे ने साफ कहा कि गलतियां सुधार कर लोगों का भरोसा हासिल किया जाएगा। राजे ने जोर देकर विपक्ष से कहा कि आप वहीं बैठोगे और हम फिर से सरकार बनाएंगे। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं पर भरोसा जताते हुए कहा कि सरकार ने विकास के काम बहुत किए हैं जो कांग्रेस कभी नहीं कर पाई। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी का कहना है कि पार्टी की निराशा को जल्द दूर कर फिर से जनता का भरोसा हासिल किया जाएगा।