हिमाचल प्रदेश के सरकारी वकील को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- एडवोकेट हो या चम्‍मच!

भारत के पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के कसौली जिले में अवैध निर्माण का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। इसी मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकारी वकील से तल्ख लहजे में पूछा​ कि आप व​कील हैं या राज्य सरकार के चम्मच? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के वकील पर ये टिप्पणी इसलिए भी की क्योंकि उन्होंने सुनवाई के दौरान बेंच के जज पर ही सवाल खड़े कर दिए थे।

दरअसल, हिमाचल प्रदेश सरकार की इस मामले में पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव मुखर्जी कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान मुखर्जी ने कहा कि अवैध मामले से ही संबंधित एक याचिका पर सुनवाई हिमाचल प्रदेश के हाई कोर्ट में भी चल रही है। इस मामले में याचिकाकर्ता पूनम गुप्ता हैं, जो कि सुप्रीम कोर्ट में कसौली मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस दीपक गुप्ता की पत्नी हैं। मुखर्जी ने इस संबंध में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का एक कागज भी कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया।

कागज को देखते ही मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने कड़ी फटकार लगाई। पीठ ने मुखर्जी से पूछा कि क्या उन्होंने यह याचिका पढी भी है? दोनों मामले एक-दूसरे से अलग हैं। यह मामला कुछ ओर है और दूसरा मामला जंगल की जमीन से जुड़ा मामला है। पीठ ने कहा कि सरकारी वकील को बिना पूरे मामले को जाने इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कोर्ट के काबिल वकील हैं। आपको किसी सरकार के प्रवक्ता की तरह बात नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने मुखर्जी से कहा कि आपको खुद पहले चीजों को समझना चाहिए और फिर जाकर ही कोई टिप्पणी करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद मुखर्जी से दो महीने के भीतर फिर से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के कसौली में अवैध निर्माणों खासकर अवैध होटलों को ढहाने के आदेश दिए थे। इस कार्रवाई से गुस्साए होटल मालिक ने एक महिला अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसी घटना का संज्ञान लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को तलब कर लिया था।

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