हैदराबाद की मस्जिद में महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को नमाज देखने की इजाजत

महिलाओं समेत गैर मुस्लिमों के एक समूह ने छज्‍जो पर खड़े होकर यहां एक मस्जिद में मुस्लिमों को नमाज अदा करते हुए देखा। इस मस्जिद ने अपने दरवाजे सभी धर्मो के लोगों के लिए औपचारिक रूप से खोल दिए। यह विभिन्न धर्मो के अनुयायियों के लिए एक मौका था कि वे जान सकें कि मस्जिदें अंदर से कैसी दिखती हैं और कैसे मुस्लिम नमाज अदा करते हैं।
धरोहर कार्यकर्ता पी. अनुराधा रेड्डी समेत आगंतुक मस्जिद-ए-कुबा गए, जहां उन्होंने आयोजकों द्वारा लगाए गए चार्ट देखे, जिनपर इस्लाम की बुनियादी सिद्धांतों की व्याख्या दर्ज है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम समुदायों के बीच बेहतर समझ बढ़ाते हैं।

मस्जिद की संगठन समिति मेहदीपट्टनम इलाके में स्थित है। समिति ने पहली बार ‘खुली मस्जिद’ कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें विभिन्न धर्मो के लोगों को इस्लाम की शिक्षाओं पर प्रकाश डालने के प्रयास के मकसद से धर्मस्थल का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह कार्यक्रम ईद-उल-फितर के एक दिन बाद आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में हिंदू, ईसाई और सिखों ने मस्जिद की ओर रुख किया, जहां उन्हें नमाज, अजान और वजू के बारे में विस्तार से बताया गया। यहां उन्हें अधिकतर मस्जिदों के ढांचे के बारे में भी बताया गया कि ये मीनारों और गुंबजों की तरह क्यों होते हैं। आगंतुकों को खजूर और शीर खुरमा दिया गया। शीर खुरमा दूध, सेवई और सूखे मेवे से बनाई जाने वाली एक मिठाई है। खुली मस्जिद का विचार मोहम्मद मुस्तफा द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जिन्होंने हाल ही में इस्लाम धर्म अपनाया है।

 

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