हॉकी खिलाड़ी ने मदद मांगी तो भाजपा विधायक ने बनाया मजाक, बोले- अच्‍छा खेलती तो झुग्‍गी में नहीं रहती

भारतीय जनियर हॉकी टीम की गोलकीपर खुशबू खान ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मदद की गुहार लगाई है। खुशबू भोपाल में एक झुग्गी में रहती है। डेढ साल पहले एक अस्पताल के प्रशासन ने अपनी जमीन के लिए उसके घर का शौचालय तोड़ दिया था। खुशबू ने सीएम से उसके घर में शौचालय बनवाने की सिफारिश की है। खुशबू ने कहा “मुझे मामा जी (सीएम) पर विश्वास है कि वे मेरे लिए कुछ करेंगे। मैं उनसे सिफारिश करती हूं कि वे मेरे परिवार को सुविधा प्राप्त करवाएं।” खूशबु द्वारा सीएम से मदद की गुहार लगाना बीजेपी विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह को रास नहीं आया और उन्होंने खुशबू का अपमान कर दिया। न्यूज 18 के अनुसार विधायक का कहना है कि अगर खुशबू अच्छी खिलाड़ी होती तो वह झुग्गियों में न रह रही होती बल्कि उसे सरकार की तरफ से अबतक नौकरी मिल गई होती।

राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी खुशबू का अपमान करते हुए सुरेंद्र नाथ ने कहा “मीडिया हर मामले को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाता है। लाखों लोग ऐसे हैं जो कि खुशबू की तरह हैं और अब कोई भी सड़क पर खड़े होकर मदद की मांग करेगा तो उन सभी को मदद पहुंचाना संभव नहीं है।” खुशबू का मजाक उड़ाते हुए विधायक ने कहा कि खुशबू राष्ट्रीय जूनियर हॉकी  अंडर 19 टीम की गोलकीपर है ही नहीं। टीम के लिए रखे गए कैंप  में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों में खुशबू को जगह मिली थी बस।

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ANI

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Bhopal: Indian junior hockey team goalkeeper Khushboo Khan requests Chief Minister Shivraj Singh Chouhan for a toilet to be constructed at her home which was broken 1 & a half year ago by the management of a veterinary hospital which owns the land #MadhyaPradesh

आपको बता दें कि खुशबू भोपाल के जहांगीराबाद इलाके में अपने परिवार के साथ एक झुग्गी में रहती है। खुशबू के परिवार में सात सदस्य हैं। शौचालय टूटने के बाद पूरा परिवार खुले में शौच के लिए जाने पर मजबूर है। पहले अस्पताल प्रशासन द्वारा उनका शौचालय तोड़ दिया गया और अब उनकी झुग्गी को तोड़ उन्हें बेघर करने की धमकी दी जा रही है। इंडिया डॉट कॉम के अनुसार खुशबू ने बताया कि वे जिलाधिकारी से लेकर सीएम तक मदद की गुहार लगा चुकी हैं। खुशबू ने तात्या टोपे स्टेडियम के पास उन्हें घर देने की सिफारिश सरकार से की थी। उन्हें आश्वासन दिया गया कि उनकी मदद की जाएंगी लेकिन वादे केवल वादे रह गए जिन्हें अभीतक पूरा नहीं किया गया है।

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