होली 2018: मशहूर रचनाकारों की इन कविताओं से अपने खास लोगों को कहिए ‘होली मुबारक’

होली का त्योहार नजदीक है। हर कोई अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिचितों को होली की शुभकामनाएं सबसे अलग अंदाज में देना चाहता है। इसके लिए लोग शायरियों, कविताओं आदि का भी सहारा लेते हैं। कविताओं और शेरों से शुभकामना संदेश भेजना आज के सोशल मीडिया के दौर का सबसे लोकप्रिय अंदाज है। ऐसे में आज हम आपको हिंदी और ऊर्दू के कुछ प्रसिद्ध कवियों और शायरों की होली पर लिखी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका इस्तेमाल कर आप भी अपने खास लोगों को खास अंदाज में होली मुबारक बोल सकते हैं।

1. साग़र निज़ामी

फ़स्ल-ए-बहार आई है होली के रूप में।
सोला-सिंघार लाई है होली के रूप में।

पिचकारियाँ लिए हुए देवी नशात* की,
हर घर में आज आई है होली के रूप में ।
(*नशात – आनंद)

हम से नज़र मिलाइए होली का रोज़ है।
तीर-ए-नज़र चलाइए होली का रोज़ है।
बच्चे गली में बैठे हैं पिचकारियाँ लिए,
बच बच के आप जाइए होली का रोज़ है।

3. हरिवंश राय बच्चन

विश्व मनाएगा कल होली!

घूमेगा जग राह-राह में
आलिंगन की मधुर चाह में,
स्नेह सरसता से घट भरकर, ले अनुराग राग की झोली!
विश्व मनाएगा कल होली!

6. नज़ीर अकबराबादी

जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की।
और दफ़ के शोर खड़कते हों तब देख बहारें होली की ।
परियों के रंग दमकते हों तब देख बहारें होली की।
ख़ुम, शीशे, जाम, झलकते हों तब देख बहारें होली की।

5. हरिवंश राय बच्चन

प्रेम चिरंतन मूल जगत का,
वैर-घृणा भूलें क्षण की,
भूल-चूक लेनी-देनी में
सदा सफलता जीवन की,

जो हो गया बिराना उसको फिर अपना कर लो।
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!

6. माधव राम जौहर

मुँह पर नक़ाब-ए-ज़र्द हर इक ज़ुल्फ़ पर गुलाल
होली की शाम ही तो सहर है बसंत की।

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