1 करोड़ का इनामी नक्सली दशकों तक रहा रडार से बाहर, फिर बीवी के साथ सेल्फी बनी काल; जानिए कैसे

चलपति की पत्नी अरुणा के साथ ली गई सेल्फी ने सुरक्षा बलों को उसकी पहचान करने में मदद की. यह तस्वीर एक लावारिस स्मार्टफोन में मिली थी, जिसे मई 2016 में आंध्र प्रदेश में माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ के बाद बरामद किया गया था.

माओवादी नेता जयराम रेड्डी, जिन्हें चलपति के नाम से भी जाना जाता है. चलपति दशकों तक सुरक्षा बलों से बचता रहा. लेकिन अपनी पत्नी अरुणा उर्फ चैतन्य वेंकट रवि के साथ ली गई एक सेल्फी ने उसकी जान ले ली. वह छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों द्वारा चलाए गए संयुक्त अभियान में मारे गए 20 माओवादी नेताओं में से एक था.

चलपति नक्सलियों के सेंट्रल कमिटी का सदस्य था और कई वर्षों तक सुरक्षा बलों के लिए रहस्य बना रहा. 2016 में उसकी और उसकी पत्नी अरुणा की एक सेल्फी सुरक्षा बलों के हाथ लगने के बाद उसकी पहचान हुई. इस सेल्फी ने उसकी गतिविधियों पर नजर रखने में मदद की.

चलपति की पत्नी अरुणा के साथ ली गई सेल्फी ने सुरक्षा बलों को उसकी पहचान करने में मदद की. यह तस्वीर एक लावारिस स्मार्टफोन में मिली थी, जिसे मई 2016 में आंध्र प्रदेश में माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ के बाद बरामद किया गया था.

बड़े हमलों का मास्टरमाइंड था चलपति!
जयराम नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था, जो एक नक्सली नेता होने के साथ-साथ सुरक्षा बलों के लिए बड़ा खतरा भी माना जाता था. चलपति छत्तीसगढ़ और आसपास हुए कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रहा है. एक करोड़ के इनामी चलपति का असली नाम जयराम रेड्डी बताया जा रहा है. उसे नक्सली संगठन में रामचंद्र रेड्डी अप्पाराव या रामू के नाम से भी जाना जाता था. आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के माटेमपल्ली गांव के रहने वाले रेड्डी ने केवल 10वीं तक पढ़ाई की थी.

चलपति बस्तर के अबूझमाड़ के जंगलों में सक्रिय था, जो छत्तीसगढ़ का एक दुर्गम और घना क्षेत्र है. चलपति अपनी रक्षा के लिए एके-47 और एसएलआर जैसे अत्याधुनिक हथियार अपने साथ रखता था. उसकी सुरक्षा में 8-10 गार्ड तैनात रहते थे क्योंकि अबूझमाड़ क्षेत्र में हर वक्त खतरा बना रहता है.