अमेरिका ने दी ईरान पर ‘इतिहास के सबसे कठोर प्रतिबंध’ लगाने की चेतावनी
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने ईरान पर ‘ इतिहास के सबसे कठोर प्रतिबंध ’ लगाने की चेतावनी देते हुए यूरोपीय कंपनियों को तेहरान के साथ व्यापार जारी रखने को लेकर आगाह किया है। ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अलग होने के बाद अमेरिका ने उसके खिलाफ कड़ी नीति अपना ली है। लंबे समय से ईरान और 2015 परमाणु समझौते के विरोधी रहे पोम्पिओ ने आक्रामक कदमों की रूपरेखा तैयार की है जिसका लक्ष्य तेहरान से निपटना है , जिसे उन्होंने आतंकवाद का सबसे बड़ा प्रायोजक करार दिया है।
विदेश मंत्री बनने के बाद पहली बार एक बड़ी नीति पर बात करते हुए पोम्पिओ ने कहा , ‘ईरानी शासन पर हम अभूतपूर्व वित्तीय दबाव बनाएंगे। तेहरान के नेताओं को हमारी गंभीरता पर कोई संदेह नहीं रहेगा। ’’ थिंक टैंक ‘ हेरिटेज फाउंडेशन’ में एक भाषण में उन्होंने कहा , यदि शासन (ईरानी) अपना अस्वीकार्य एवं निरर्थक मार्ग नहीं छोड़ता है तो प्रतिबंधों का असर और दुखद होगा ।’’ ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने तुरंत जवाब दिया कि विश्व ज्यादा समय तक यह स्वीकार नहीं करेगा कि वांिशगटन उसकी ओर से निर्णय ले।
ईरानी समाचार एजेंसियों ने रूहानी के हवाले से कहा , ‘‘ ईरान और विश्व के लिए निर्णय लेने वाले तुम कौन होते हो ?’’ उन्होंने कहा , ‘‘ विश्व आज यह स्वीकार नहीं करेगा कि अमेरिका विश्व के लिए फैसले करे । सभी देशों की अपनी स्वतंत्रता है। ’’ इस बीच, जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास ने कहा कि वह ईरान परमाणु समझौते पर वांिशगटन के रुख पर चर्चा करने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ से मुलाकात करेंगे।
अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में जी20 बैठक के बाद मास ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं बुधवार को वांिशगटन पहुंचकर माइक पोम्पिओ से मुलाकात करूंगा और इस अवसर का इस्तेमाल उनसे इस मामले पर सीधी बातचीत करने के लिए करूंगा।’’ दूसरी ओर, यूरोपीय संघ की विदेश नीति की प्रमुख फेडरिका मोगेरिनी ने कहा , ‘‘ विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के भाषण से यह पता नहीं चलता कि जेसीपीओए (परमाणु समझौता) से बाहर निकलना कैसे क्षेत्र को परमाणु प्रसार से सुरक्षित बनाता है या कैसे जेसीपीओए के दायरे के बाहर विभिन्न क्षेत्रों में ईरान के आचरण को प्रभावित करने के लिए यह हमें बेहतर स्थिति में लाता है। ’’