10 साल के बच्चे की ये चिट्ठी पढ़कर मुस्कुरा उठे सुप्रीम कोर्ट के जज, फैसले में भी किया जिक्र
पति-पत्नी के सात साल पुराने झगड़े में उनके बच्चे की एक चिट्ठी ने सुलह करा दी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था। दोनों पक्षों ने एक-दूजे के खिलाफ कुल 23 मामले दर्ज कराए थे। लेकिन बच्चे के भावुक और मार्मिक संदेश ने दंपति के बीच की सारी कड़वाहट को एक पल में खत्म कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने जज जस्टिस कुरियन भी जब उसकी चिट्ठी से गुजरे तो उनके भी चेहरे पर झीनी सी मुस्कान आ गई। यहां कि उन्होंने इस मामले में फैसला सुनाने के दौरान बच्चे की चिट्ठी का जिक्र किया। बच्चे के माता-पिता साल 2011 में अलग हो गए थे। शुक्रवार (नौ मार्च) को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हो रही थी। जस्टिस करियन जोसेफ और मोहन एम शांतानागौदर ने इस मामले में अंतिम फैसला सुनाते वक्त बच्चे की चिट्ठी को भी शामिल किया, जिसे उन्हें दंपति के 10 वर्षीय बेटे ने भेजा था। हालांकि, जजों ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद तलाक की मंजूरी दे दी थी। मगर दंपति ने बाद में आपसी सुलह करने का फैसला किया और एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज कराए गए मामलों को वापस लिया।
बता दें कि साल 1997 में दंपति की शादी हुई थी, जिसके बाद उनके दो बच्चे हुए। एक बेटा और एक बेटी। दांपत्य जीवन ठीक न होने के बाद दोनों मार्च 2011 में अलग हो गए थे, जिसके बाद दोनों के बीच दूरियां और भी बढ़ गई थीं। बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, “कोर्ट ने जिस तरह पहले सुनवाई में दोनों के बीच विवादों को सुलझाया, उससे नहीं मालूम पड़ता कि अब उन्हें किसी फैमिली कोर्ट में भेजने की आवश्यक्ता है। दंपति हमारे सामने हैं। पूरे मसले पर सोचने-समझने के बाद कोर्ट तलाक की मंजूरी देती है।”
जस्टिस कुरियन ने आगे बताया, “फैसला सुनाए जाने के दौरान बच्चा भी मौजूद था। वह बेहद खुश था। हाथ से बने एक कार्ड पर उसने माता-पिता के बीच खत्म हुए झगड़े पर अपने उत्साह का जिक्र किया।” चिट्ठी में बच्चे ने लिखा था, “भगवान के पास आपके लिए हमेशा कुछ होता है। हर समस्या की चाभी। हर अंधकार के लिए रोशनी। हर दुख के लिए राहत और हर आने वाले कल के लिए योजना होती है।”