अप्रैल से करीब 10 लाख डॉक्टर्स जा रहे हैं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार 2 अप्रैल से करीब 10 लाख डॉक्टर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने वाले हैं। इंडिया टुडे की मानें तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के डॉक्टर्स और मेडिकल स्टूडेंट्स द्वारा नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल का विरोध किया जा रहा है। मेगा स्ट्राइक पर जाने का प्रस्ताव दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित हुई महापंचायत में पास किया गया है। आईएमए द्वारा एनएमसी बिल के मसौदे का शुरू से ही विरोध किया जा रहा है। यह बिल पास होने के बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह पर नए ढांचे का निर्माण किया जाएगा। डॉक्टर्स का कहना है कि इससे डॉक्टरी के पेशे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
डॉक्टर्स का कहना है कि उनकी मांगें बहुत ही साधारण हैं। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि का कहना है, ‘सरकार से हमारी मांगें बेहद ही साधारण हैं। हम चाहते हैं कि देश की हेल्थ पॉलिसी के ऊपर फैसला लेते दौरान हमें भी शामिल किया जाए। हमें शामिल किए बिना ही आप नेशनल कमीशन बिल लाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बिल अलोकतांत्रिक, संघ विरोधी और स्टूडेंट विरोधी है। यह बिल मूल रूप से अमीर लोगों को आरक्षण देने का काम करेगा।’ डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है।
10 lakh Indian Medical Association doctors to go on indefinite strike from April 2. Here’s why.
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इस बिल का विरोध कर रहे डॉक्टर का कहना है, ‘तीन साल से सरकार हमारी बातों को तवज्जों नहीं दे रही है और सरकार ही हमें हड़ताल करने के लिए दबाव बना रही है। मॉडर्न मेडिकल की स्ट्राइक… यानी जनता को यह दिखाया जा रहा है कि अगर आपको आयुष के ऊपर विश्वास है तो केवल उन्हीं से इलाज करवाएं।’ आपको बता दें कि इस बिल में सरकार द्वारा आयुष डॉक्टर्स के लिए ब्रिज कोर्स का प्रावधान रखा गया है, शॉर्ट टर्म ब्रिज कोर्स करने के बाद आयुष डॉक्टर्स भी कुछ हद तक एलोपैथिक दवाइयां मरीजों को दे सकेंगे। इस मामले में डॉक्टर वानखेड़े ने कहा, ‘यह बिल एंटी-पुअर बिल है। यहां एलोपैथिक डॉक्टर्स की कोई कमी नहीं है। सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही कमी पर ध्यान देने की जरूरत है।’