केंद्रीय कैबिनेट ने एकल ब्रांड खुदरा और निर्माण में सौ फीसद एफडीआइ की मंजूरी दी।

केंद्र सरकार ने विमानन, खुदरा कारोबार और निर्माण समेत कई क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) नियमों में बड़ी ढील दी है। केंद्रीय कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में एकल ब्रांड खुदरा और निर्माण में सौ फीसद एफडीआइ की मंजूरी दी। इन क्षेत्रों में स्वत: मंजूरी मार्ग से एफडीआइ लाई जा सकेगी। आशय यह कि सौ फीसद विदेशी निवेश के लिए सरकार से मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। साथ ही, कर्ज बोझ तले दबी एयर इंडिया में 49 फीसद तक विदेशी भागीदारी को हरी झंडी दे दी गई। इसके अलावा निर्माण क्षेत्र की दलाली की गतिविधियों और ऊर्जा क्षेत्र के एक्सचेंजों में कारोबार के लिए विदेशी निवेश के नियमों को उदार बनाया गया है।

विमानन और निर्माण के लिए एफडीआइ नियमों में ढील देकर देश में कारोबार करने के नियमों को और आसान बनाने की बात कही जा रही है। व्यापक स्तर पर एफडीआइ प्रवाह, निवेश प्रोत्साहन, आय और रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में यह सरकार का अहम कदम माना जा रहा है। कैबिनेट की बैठक के बारे में जारी विवरण के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों को बिजली क्षेत्र में प्राथमिक बाजार के जरिए भी एफडीआइ की अनुमति दी गई है और चिकित्सा उपकरणों की परिभाषा में संशोधन किया गया है। चिकित्सा उपकरणों और विदेशों से कोष प्राप्त करने वाली कंपनियों से जुड़ी आडिट फर्मों के मामले में भी एफडीआइ नीति में रियायत दी गई है। एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में पहले भी इस क्षेत्र में 100 फीसद एफडीआइ की अनुमति थी, लेकिन तब इसके लिए पहले मंजूरी लेने की शर्त रखी गई थी। अब स्वत: मंजूरी मार्ग से एफडीआइ को मंजूरी दे दी है। एफडीआइ नीति में किए गए ताजा संशोधन का मकसद नीति को अधिक उदार और सरल बनाना है। इससे देश में कारोबार सुगमता को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

सरकार ने सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया में विदेशी एयरलाइन कंपनियों को पहले अनुमति लेने की शर्त पर 49 फीसद हिस्सेदारी खरीदने को मंजूरी दी है। सरकार की कर्ज के बोझ तले दबी एयर इंडिया के विनिवेश की योजना है। आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया है, एयर इंडिया में विदेशी एयरलाइन कंपनियों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कुल हिस्सेदारी 49 फीसद से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही यह भी शर्त होगी कि एयर इंडिया में बड़ा हिस्सा और उसका प्रभावी नियंत्रण भारतीय नागरिक के हाथों में ही बना रहेगा।
बिजली की खरीद- फरोख्त सुविधा प्रदान करने वाले ‘पावर एक्सचेंज’ के मामले में भी विदेशी निवेश नीति को उदार बनाया गया है। वर्तमान नीति के तहत पावर एक्सचेंज में स्वत: मंजूरी मार्ग से 49 फीसद तक एफडीआइ हो सकता है। वर्तमान में विदेशी संस्थागत निवेशकों, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफआइआइ, एफपीआइ) को केवल द्वितीयक बाजारों में ही खरीद-फरोख्त की अनुमति है। कैबिनेट के फैसले में कहा गया है, अब इस प्रावधान को समाप्त करने का फैसला किया गया है। इसके बाद एफआइआइ, एफपीआइ अब प्राथमिक बाजारों के जरिए भी पावर एक्सचेंज में निवेश कर सकेंगे। निर्माण क्षेत्र की गतिविधियों के मामले में सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि रीयल एस्टेट ब्रोकिंग सेवाएं, रियल एस्टेट व्यवसाय में नहीं आतीं हैं। इसलिए इस तरह की सेवाएं स्वत: मंजूरी मार्ग से 100 फीसद एफडीआइ पाने की पात्र हैं।

सरकार ने इसके साथ यह भी कहा है कि कंपनी गठन से पहले के खर्चे और मशीनरी आयात खर्च जैसे गैर-नकद व्यय के एवज में जारी होने वाले शेयरों के लिए अब स्वत: मंजूरी मार्ग से अनुमति होगी। यह सुविधा उन क्षेत्रों के लिए होगी जिनमें सरकारी अनुमति की जरूरत नहीं है। इससे पहले कंपनियों के गठन से पहले के खर्च के लिए मंजूरी लेनी पड़ती थी।

सरकार ने स्वत: मंजूरी मार्ग से आने वाले निवेश प्रस्तावों के मामले में प्रक्रियागत रुकावटों को भी दूर करने के कदम उठाए हैं। सरकार ने कहा है कि स्वत: मंजूरी मार्ग से आने वाले ऐसे प्रस्ताव जो कि चिंता पैदा करने वाले देशों से आते हैं (इस मामले में पाकिस्तान और बांग्लादेश), उन प्रस्तावों को सरकारी मंजूरी के लिए डीआइपीपी द्वारा जांच परखा जाएगा। पूर्व मंजूरी वाले मामले में चिंता वाले देशों से आने वाले प्रस्तावों में सुरक्षा मंजूरी को संबंधित विभाग और मंत्रालय से ही जांच परखा जाएगा। उसके बाद ही मंजूरी दी जाएगी। इससे पहले इन प्रस्तावों को गृह मंत्रालय से अनुमति दी जाती थी।

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