टिकट नहीं होने पर मां समेत नेत्रहीन छात्र को फ्लाइंग दस्ते ने बस से उतारा, दिखाया था सर्टिफिकेट

एक नेत्रहीन छात्र और उसकी मां को रोहतक डिपो के उड़नदस्ते ने, उनके पास 100 फीसदी दिव्यांग का प्रमाणपत्र होने के बावजूद राज्य परिवहन की बस से इसलिए जबरन नीचे उतार दिया क्योंकि उन्होंने टिकट नहीं ली थी।  गौरतलब है कि राज्य परिवहन की बस में 100 फीसदी दिव्यांग और उसके साथ एक सवारी को मुफ्त यात्रा की सुविधा है। पीड़ित बच्चे की मां ने रोडवेज महाप्रबंधक के अलावा मुख्यमंत्री, राज्य मानवाधिकार आयोग और केंद्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिख कर न्याय की गुहार लगाई और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पत्र में भिवानी निवासी सुनीता ने लिखा है कि वह 29 नवंबर को अपने नेत्रहीन बेटे कृष के साथ दिल्ली जा रही थी।

वह भिवानी से दिल्ली जाने वाली भिवानी डिपो की बस में बैठी। उसने बस में सीट नंबर भी लिया था। लेकिन बस के रोहतक पुराना बस अड्डा पहुंचने से पहले ही फ्लाईंग दस्ते ने बस रुकवाई। उन्होंने उनसे टिकट मांगी तो सुनीता ने 100 फीसदी दिव्यांग का प्रमाणपत्र दिखाया। प्रमाणपत्र देखने के बावजूद फ्लाइंग दस्ते ने उसे और उसके पुत्र को बस से उतार दिया।  सुनीता के अनुसार, उतरने के बाद उसने टिकट लिया तब उन्हें बस में चढ़ने दिया गया।  सुनीता की शिकायत पर भिवानी डिपो के महाप्रबंधक बलवंत गोदारा ने कहा कि उन्हें शिकायत तो मिली है लेकिन यह कार्रवाई रोहतक फ्लाइंग दस्ते ने की है जबकि बस भिवानी डिपो की है। उन्होंने बताया कि 100 फीसदी नेत्रहीन और बतौर सहायक एक व्यक्ति को रोडवेज में मुफ्त यात्रा का प्रावधान है।  गोदारा ने कहा कि वह सुनीता की शिकायत रोहतक डिपो को भेज देंगे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *