15,935 करोड़ के रक्षा सौदों को मिली मंजूरी
रक्षा मंत्रालय ने सेना के तीनों अंगों के लिए 12,280 करोड़ रुपए की लागत से 7.40 लाख असाल्ट राइफलें खरीदने की मंजूरी दे दी। मंगलवार को हुई रक्षा खरीद परिषद की बैठक में यह मंजूरी दी गई। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह भी तय किया गया कि 1,819 करोड़ रुपए की लागत से लाइट मशीन गनों की भी खरीदी जाएंगी। साथ ही, सेना के लिए 982 करोड़ रुपए की लागत से 5,719 स्नाइपर राइफलें खरीदी जाएंगी। कुल 15,935 करोड़ रुपए के रक्षा सौदों को मंजूरी दी गई है। सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बेहतर और अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध कराने की योजना हाथ में ली गई है। नौसेना के जहाजों की पनडुब्बी रोधी मारक क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी अधिग्रहण को भी मंजूरी दी गई है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, हथियार को उपलब्ध कराने की प्रक्रिया त्वरित होगी। 1819 करोड़ की लागत से सेना के लिए लाइट मशीन गन (एलएमजी) की ‘फास्ट ट्रैक’ आधार पर खरीद को मंजूरी दी गई है। असाल्ट राइफलें सेना के तीनों अंगों के लिए होंगी। सेना और वायुसेना के लिए 982 करोड़ में 5719 स्नाइपर राइफल्स की खरीद की इजाजत दी गई है। शुरुआत में इनका असलहा भी खरीदा जाएगा। बाद में इनका गोला-बारूद देश में ही बनाया जाएगा।
सैन्य बलों ने 11 साल पहले नई बंदूकों की आवश्यकता को लेकर अपनी मांग रखी थी। पिछले महीने रक्षा अधिग्रहण परिषद ने कम से कम कुछ हथियार खरीदने का फैसला लिया था। लेकिन बढ़ते आतंकवादी हमलों के मद्देनजर सभी सुझाव मान लिए गए हैं। बीते एक महीने में सरहदी इलाकों में तैनात सैनिकों को प्रभावी हथियार मुहैया कराने के लिए रक्षा खरीद परिषद ने तीन निजी श्रेणी के हथियार- राइफल, कार्बाइन और लाइट मशीन गन की खरीद में मुस्तैदी दिखाई है।
राइफलों के अलावा नौसेना के जहाजों की पनडुब्बी रोधी मारक क्षमता बढ़ाने के लिए रक्षा खरीद परिषद ने एडवांस्ड टॉरपीडो डेकॉय सिस्टम के अधिग्रहण के मसविदे को भी हरी झंडी दे दी है। बैठक में मेक-2 प्रक्रिया को भी आसान बनाने का निर्णय हुआ था, ताकि देशी कंपनियां हमारी रक्षा जरूरतों और उपकरणों पर शोध, विकास और उसका निर्माण कर सकें।