2019 का रण: राहुल-सोनिया की पहली पसंद मायावती या ममता? जानें- कौन बन सकती हैं पीएम!

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बन रहे महागठबंधन की जीत अगर होती है तो 2019 में प्रधानमंत्री कौन बनेगा? इस पर महागठबंधन के घटक दलों और कांग्रेस के बीच भी कयास जारी है। कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि बसपा सुप्रीमो और दलित नेता मायावती या तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में से कोई एक प्रधानमंत्री बन सकती हैं। ‘द प्रिंट’ के मुताबिक इन दोनों हस्तियों में बाजी वही मारेंगी जो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मां और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के ज्यादा करीब होंगी। हालांकि, यह चयन राजनीतिक संकेतों, भविष्य की संभावनाओं और व्यक्तिगत पसंद या निकटता के आधार पर भी आधारित होगा। हिन्दी पट्टी से संबंध रखनेवाले अधिकांश कांग्रेसी नेताओं का झुकाव मायावती की तरफ है क्योंकि वो एक बड़ी दलित हस्ती हैं और उनके जुड़ने से चुनावी जीत की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।

जहां तक बात सोनिया गांधी के करीबी होने का है तो इस मामले में ममता बनर्जी मायावती पर भारी पड़ सकती हैं क्योंकि ममता बनर्जी का अतीत कांग्रेस से जुड़ा रहा है। इसके अलावा राजनीतिक सहमतियों और असहमतियों के बावजूद ममता बनर्जी पिछले दो दशक से 10 जनपथ के साथ खड़ी रही हैं। सोनिया के विदेशी मूल के मुद्दे पर भी ममता बनर्जी ने सोनिया गांधी का साथ दिया था। ममता ने एनडीए सरकार के उस विधेयक को पारित होने नहीं दिया था जो विदेशी मूल के लोगों को देश के सर्वोच्च पद पर बैठने से रोकता था। ममता ने करीब 11 साल बाद फिर से यूपीए-2 की सरकार में शामिल होकर यह बता दिया था कि उनका दिल अब भी कांग्रेस के लिए धड़कता है। मौका मिलेगा तो वो कांग्रेस को साथ देती रहेंगी।

ममता बनर्जी कांग्रेस छोड़कर उस वक्त गई थीं, जब सोनिया गांधी सक्रिय राजनीति में नहीं थी और पार्टी के अध्यक्ष सीताराम केसरी थे। 22 दिसंबर, 1997 की रात जब ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़ी थी तब सोनिया ने आधी रात को ममता के लिए 10 जनपथ का दरवाजा खुलवाया था और उन्हें कांग्रेस में रखने की हरसंभव कोशिश की थी। तब ममता ने कहा था, “वे राजीव गांधी के लिए कुछ भी कर सकती हैं लेकिन कांग्रेस में नहीं रहेंगी क्योंकि प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस में ममता विरोधी धड़ा खोल रखा है।”

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