2019 चुनाव पर माकपा पोलित ब्यूरो में मतभेद, सीताराम येचुरी पर भारी पड़ा प्रकाश करात खेमा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पोलित ब्यूरो की बैठक में इस बात पर सहमति नहीं बन पाई कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस और अन्य धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के साथ राजनीतिक तालमेल किया जाए या नहीं। पोलित ब्यूरो की दो दिवसीय बैठक में दो ‘‘नोट’’ पर चर्चा की गई जिनमें से एक महासचिव सीताराम येचुरी ने और दूसरा उनके पूर्ववर्ती प्रकाश करात ने पेश किया था। इन प्रस्तावों में आगामी तीन वर्षों में अपनाये जाने वाले राजनीतिक रूख के बारे में सुझाव दिया गया था।चूंकि पार्टी आम सहमति तक नहीं पहुंच पाई है इसलिए मसौदे को केंद्रीय समिति के सामने रखा जाएगा। दरअसल माकपा महासचिव सीताराम येचुरी चाहते हैं कि 2019 के चुनावों में बीजेपी और सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए कांग्रेस से विचारधारा के स्तर पर गठबंधन किया जाए। सीताराम येचुरी के इस विचार से पार्टी के पूर्व महासचिव प्रकाश करात भी सहमत हैं कि बीजेपी को शिकस्त दी जाए लेकिन वे कांग्रेस से किसी भी राजनीतिक गठबंधन के खिलाफ हैं। पार्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘पोलित ब्यूरो ने 22वीं कांग्रेस के लिए राजनीतिक रिपोर्ट के मसौदे पर चर्चा की। इन चर्चाओं को अब विचार के लिए 19 से 21 जनवरी तक होने वाली बैठक में केन्द्रीय समिति के समक्ष रखा जायेगा।’’
दरअसल सीताराम येचुरी चाहते हैं कि अगर कांग्रेस के साथ राजनीतिक गठबंधन ना भी हो तो एक स्तर समझौता जरूरी है, जैसे कि स्थानीय स्तर पर जरूरतों के मुताबिक सीटों में ताल-मेल। पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि पोलित ब्यूरो किसी सहमति पर नहीं पहुंच सका है लेकिन किसी सहमति पर पहुंचने तक पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रयास जारी रखेंगे ताकि केन्द्रीय समिति के पास एक नोट भेजा जा सके। ऐसा समझा जाता है कि करात ने अपने नोट में जोर दिया कि मौजूदा राजनीतिक स्थिति में भाजपा मुख्य प्रतिद्वंद्वी है और माकपा की प्राथमिकता सांप्रदायिक ताकतों को हराने की होनी चाहिए लेकिन कांग्रेस के साथ कोई राजनीतिक तालमेल नहीं होना चाहिए। हालांकि माकपा ने तमिलनाडु की आर के नगर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस के सहयोगी द्रमुक को समर्थन दिया है।