2019 चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी बड़े बदलाव, युवा टीम लाने की तैयारी!
लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शीर्ष नेतृत्व में भी व्यापक बदलाव की तैयारी है। देश की आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी और 2019 में आम चुनावों को देखते हुए संगठन में युवाओं को ज्यादा तरजीह दी जा सकती है। ‘मिंट’ की रिपोर्ट के अनुसार, आरएसएस के मौजूदा सरकार्यवाह (राष्ट्रीय महासचिव) सुरेश भैय्याजी जोशी मार्च में होने वाले अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) की बैठक में पद छोड़ने की घोषणा कर सकते हैं। ऐसे में नए सरकार्यवाह की नियुक्ति जरूरी हो जाएगी। इस पद के लिए आरएसएस के सह-सरकार्यवाह (संयुक्त महासचिव) दत्तात्रेय होसबोले को सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। वह भैय्याजी जोशी के साथ लंबे समय से काम करते रहे हैं। आरएसएस में सरकार्यवाह का पद सरसंघचालक से ठीक नीचे होता है। ऐसे में भैय्याजी जोशी आरएसएस में मोहन भागवत के बाद दूसरे सबसे प्रभावशाली व्यक्ति हैं। एबीपीएस आरएसएस में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है। मार्च के दूसरे सप्ताह में नागपुर में इसकी बैठक होने की संभावना है।
भैय्याजी जोशी लगातार तीन बार से सरकार्यवाह चुने जा रहे हैं। उनके तीन साल का मौजूदा कार्यकाल मार्च में खत्म होने वाला है। संघ में सरकार्यवाह की हैसियत कार्यकारी प्रमुख की होती है जो प्रतिदिन का कामकाज देखता है। आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, संगठन में बदलाव के लिए चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा, ‘आरएसएस में चुनाव आमराय से होते हैं। इस बार भी वैसा ही होगा। हमलोगों ने आपस में चर्चा की है, लेकिन निर्णय आमराय से ही लिए जाएंगे।’ आरएसएस के नेताओं ने बताया कि सरकार्यवाह के बदलने से तीन नए सह-सरकार्यवाह की नियुक्ति भी अनिवार्य हो जाएगी। इनका चयन राष्ट्रीय महासचिव ही करेंगे। नई टीम में युवाओं को शामिल करने की उम्मीद जताई गई है। फिलहाल भैय्याजी जोशी के साथ तीन सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी, कृष्ण गोपाल और होसबोले काम कर रहे हैं। मालूम हो कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भैय्याजी जोशी ने नरेंद्र मोदी का पुरजोर समर्थन किया था।
अन्य संगठनों में भी बदलाव: आरएसएस नेतृत्व में बदलाव के साथ इससे जुड़े अन्य संगठनों में भी परिवर्तन की उम्मीद है। बता दें कि भाजपा, विश्व हिंदू परिषद और स्वदेशी जागरण मंच का आरएसएस के साथ सीधा जुड़ाव है। लोकसभा चुनावों को देखते हुए संघ में होने वाले बदलाव पर सबकी नजरें टिकी हैं, क्योंकि यही टीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल को हकीकत में बदलने में उनकी मदद करेगी।