29 साल पहले मजबूरी में छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई, अब बेटे के साथ ही 10वीं की परीक्षा दे रही हैं मां
पढ़ने और सीखते रहने की कोई सीमा नहीं होती है। यह बात एक मां ने साबित कर के दिखाई है। पंजाब के लुधियाना शहर में रहने वाली महिला अपने बेटे के साथ 10वीं की बोर्ड परीक्षा दे रही है। 29 साल पहले मजबूरी के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ गई थी। 44 वर्षीय रजनी बाला ने साल 1989 में नौवीं कक्षा तक पढ़ाई कर ली थी। लेकिन बदकिस्मती से परिवार में कुछ ऐसी स्थितियां आ गईं, जिससे उन्हें आगे स्कूल जाने का मौका नहीं मिला। शादी हो जाने के बाद रजनी घर का काम-काज संभालने लगी थीं।
महिला ने एएनआई से इस बारे में बात की। उन्होंने कहा, “मेरे पति कई सालों से पढ़ाई पूरी करने पर जोर दे रहे थे। लेकिन मेरे तीन बच्चे हैं। मुझे उन्हें भी पढ़ाना है। मैं सिविल अस्पताल में वार्ड अटेंडेंट हूं। यहां मुझे महसूस हुआ कि आज के दौर में कम से कम 10वीं पास होना जरूरी है। यही वजह है कि मैंने बेटे के साथ तैयारी शुरू की, जो अभी 10वीं कक्षा में है। हम साथ स्कूल जाते थे और एक साथ पढ़ाई करते थे।”
हालांकि, रजनी के लिए शुरुआत इतनी भी सरल नहीं थी। वह बताती हैं कि उन्हें इस सपने को पूरा करने में पति, बच्चे और सास का खूब समर्थन मिला। बकौल रजनी, “मेरी सास भी पढ़ी-लिखी नहीं है। फिर भी वह मुझे पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रेरित करती थीं। मेरे पति ने भी मेरा काफी साथ दिया। वह रोज सुबह जल्दी उठकर मुझे और बेटे को पढ़ाते थे। मेरी बेटियां भी इस मामले में पीछे नहीं रहीं। मैं अब ग्रैजुएशन करने के बारे में सोच रही हूं।”
पति राज कुमार सेठी कहते हैं, “आजकल हर किसी के लिए शिक्षित होना जरूरी है। वह भी समय के साथ। मैंने भी ग्रैजुएशन 17 सालों के अंतराल के बाद किया। मुझे लगा कि मुझे करना चाहिए। यह बात मेरी पत्नी पर भी लागू होती है। हम सुबह जल्दी उठते हैं। मेरी पत्नी और बच्चा साथ स्कूल और ट्यूशन जाते हैं।”
रजनी अपने बेटे के साथ लाजवंती सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ती हैं। यहां के प्रिंसिपल पवन गौड़ ने इस बारे में कहा, “जब लोग अपनी अधूरी पढ़ाई को कुछ सालों के बाद पूरा करने आते हैं तो यह बड़े स्तर पर समाज में सकारात्मक संदेश फैलाता है।”