30 साल तक सेना में नौकरी करने का सिला: रिटायर्ड सैनिक को साबित करना होगा कि वह भारतीय है
30 साल भारतीय सेना में नौकरी करने के बाद पिछले साल 30 सितंबर, 2016 को असम के सैनिक मोहम्मद अज़मल हक रिटायर हो गए थे लेकिन तब से ही उनसे उनकी नागरिकता के सबूत मांगे जा रहे हैं। अज़मल रिटायरमेंट के बाद बहुत ही अच्छे से गुवाहाटी में जीवन बिता रहे थे कि विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा उनके घर एक नोटिस आ पहुंचा। इस नोटिस में अज़मल को संदिग्ध मतदाता की सूची में डाल दिया गया और सभी दस्तावेजों को जमा करवा उन्हें भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए कहा गया। डीएनए के मुताबिक अज़मल ने कहा कि पहली सुनवाई 11 सितंबर की थी लेकिन मैं उसमें जा नहीं सका क्योंकि नोटिस मेरे पास देर से पहुंचा था। अब 13 अक्टूबर को अज़मल अपने पक्ष में बात रखेंगे।
अज़मल 1986 में मैकेनिकल इंजीनियर के तौर पर भारतीय सेना में शामिल हुए थे। जब वे रिटायर हुए थे तो वे उस समय जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे। अज़मल ने कहा कि छह महीने की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद मैंने सेना के लिए तकनीकी विभाग में देश के अलग-अलग हिस्सों में काम किया। एलओसी, इंडो-चाइना बोर्डर और कोटा में भी अज़मल भारतीय सेना से जुड़े रहे। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब अज़मल को भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए नोटिस भेजा गया है। इससे पहले साल 2012 में अज़मल की पत्नी ममताज बेगम को नोटिस भेजकर भारतीय नागरिकता साबित करने की बात कही गई थी। उस समय अज़मल चंडीगढ में पोस्टेड थे। अज़मल की पत्नी ने एक अफिडेविट के जरिए कोर्ट में भारतीय नागरिकता साबित की थी जिसमें अज़मल को उसका बताया गया था।
अज़मल ने कहा कि कोर्ट के समन के मुताबिक 1971 में हम बिना कागजों के भारत में आए थे जबकि मेरे पिता मकबूल अली का नाम 1966 की मतदाता लिस्ट में शामिल है। इतना ही नहीं मेरी अम्मी रहीमन नेसा का नाम 1951 के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स में शामिल है। अज़मल ने कहा कि मैं इसी मिट्टी से ताल्लुक रखता हूं, फिर क्यों सरकार हमें सामप्रदायिक स्तर पर प्रताड़ित कर रही है।