दिल्ली में महिला आयोग और पुलिस ने मिलकर 39 नेपाली लड़कियों को कराया मानव तस्करों से मुक्त
दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्लू) और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम ने बुधवार सुबह पहाड़गंज के एक होटल से 39 नेपाली लड़कियों को मुक्त कराया। मानव तस्करी रोधी अभियान देर रात एक बजे से शुरू होकर सुबह छह बजे तक चला। हालांकि, डीसीडब्लू अध्यक्ष ने अभियान के बाद ट्वीट कर आरोप लगाया कि पुलिस महिलाओं को चिकित्सीय जांच हो जाने के बावजूद आश्रय गृह नहीं भेज रही है। उन पर अपना बयान बदलने का दबाव बनाया जा रहा है। इस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी टिप्पणी की कि क्या पुलिस दोषियों की मुफ्त में मदद कर रही है? पैसा कहां तक पहुंचता है? उपराज्यपाल और भाजपा कुछ कर क्यों नहीं रहे? डीसीडब्लू अध्यक्ष ने दिल्ली पुलिस की भूमिका पर फिर सवाल उठाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मामले में संज्ञान लेने को कहा है।
दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्लू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट्वीट कर कहा कि आयोग को गुप्त सूचना मिली थी कि पहाड़गंज के होटल ‘हृदय इन’ से 39 नेपाली लड़कियों को छुड़ाया गया। रात भर छापेमारी चली और दिल्ली पुलिस ने इसमें सहयोग किया। पूरे होटल में बस नेपाल से लाई गर्इं लड़कियां थीं जिन्हें खाड़ी देशों में भेजा जाना था। इस तरह मानव तस्करी के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ हुआ। आयोग के मुताबिक इन लड़कियों की उम्र 18 से 30 साल के बीच है और ये नेपाल के भूकंप प्रभावित इलाकों से तस्करी कर लाई गई हैं। होटल में लड़कियों के रहने का खर्चा एजंट द्वारा दिया जा रहा था। आयोग के मुताबिक एक लड़की ने बताया कि उसकी बहन को पहले ही श्रीलंका भेजा जा चुका है और तब से उससे संपर्क नहीं हो पाया है। लड़कियां यहां आने के बाद अपना पासपोर्ट लेकर वापस नेपाल जाना चाह रही थीं पर एजंट उन्हें ऐसा नहीं करने दे रहे थे। मंगलवार को भी डीसीडब्लू ने उत्तर प्रदेश पुलिस की सहयोग से मैदानगढ़ी इलाके से 18 लड़कियों को छुड़ाया था जिसमें 16 नेपाली थीं। 25 जुलाई के बाद से डीसीडब्लू का यह तीसरा अभियान है जिसके बाद अब तक मानव तस्करी कर लाई गई कुल 74 नेपाली लड़कियों को दिल्ली के मुनरिका, मैदानगढ़ी और पहाड़गंज इलाकों से मुक्त कराया गया है।
स्वाति मालीवाल ने कहा कि पहाड़गंज के होटल मानव तस्करी का अड्डे बन चुके हैं। होटल ‘हृदय इन’ में सिर्फ और सिर्फ नेपाली लड़कियां एजंट के द्वारा लाई जा रही हैं। किसी को श्रीलंका तो किसी को गल्फ देशों में बेचा जाता है। इन लड़कियों को काम देने का झांसा देकर यहां लाया जाता है। डीसीडब्लू अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली में ऐसे ही मानव तस्करी के गिरोह पनपते रहेंगे, जब तक पुलिस की जवाबदेही तय नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पुलिस को कैसे नहीं पता होता कि नेपाली लड़कियां होटल के कमरों में कैद हैं? शायद इसलिए ही बात चल रही है कि सीसीटीवी पुलिस की मंजूरी के बिना नहीं लगेंगे, कहीं हफ्ते लेन देन सीसीटीवी में पकड़े न जाएं। मालीवाल ने एक बार फिर नेपाल सरकार और वहां काम कर रहे स्वयंसेवी संस्थानों से अपील की कि इन लड़कियों को वापस ले जाने और उन्हें काम दिया जाना सुनिश्चित करें ताकि ये लड़कियां फिर से मानव तस्करों के चंगुल में न आ पाएं।