40 साल में पूरी हुई बटेश्वर गंगा पंप नहर योजना का सीएम नीतीश कुमार ने किया उद्घाटन
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को भागलपुर जिले के कहलगांव के बटेश्वर गंगा पंप नहर योजना का उद्घाटन किया। इस योजना को साकार होने में 40 साल लग गए और लागत सैकड़ों फीसदी बढ़ गई। यह भागलपुर जिले के किसानों और कहलगांव के कांग्रेसी विधायक सदानंद सिंह का “ड्रीम प्रोजेक्ट” माना जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना को पूरा होने में वक्त तो जरूर लगा। लेकिन इसके तैयार होने से बिहार के भागलपुर जिले के कहलगांव और झारखंड के गोड्डा व दूसरे जिलों के हजारों किसानों को फायदा होगा। इससे कृषि सिंचाई की परेशानी दूर हो जाएगी और पानी की किल्लत भी नहीं होगी। किसानों के खेत फसलों से लहलहाते नजर आएंगे। मालूम हो कि बिहार में कृषि और सिंचाई से जुड़ी तमाम पुरानी योजनाओं को पूरा कराने की कोशिश राज्य सरकार कर रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश ने उदघाट्न के बाद एनटीपीसी के आम्रपाली मैदान में जनसभा को संबोधित किया। मुख्यमंत्री का स्वागत जलसंसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने किया। मुख्य अतिथि के तौर पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और विशिष्ट अतिथि के रूप में सदानंद सिंह मौजूद थे। समारोह की अध्यक्षता जलसंसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लालन सिंह ने किया। इस मौके पर राज्य सभा सदस्या कहकशां प्रवीण, विधान पार्षद एन के यादव के अलावा भी कई लोग मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 2008 से कृषि रोड मैप बनने के बाद किसानों को कई तरह की सुविधा मिल रही है। इससे कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए हैं। हमारी कोशिश है कि प्रत्येक भारतीय की थाली में बिहारी व्यंजन परोसा जाए और इस पर काम हो रहा है।
उन्होंने एनटीपीसी से पुरानी पड़ी तकनीकी में भी परिवर्तन लाने की सलाह दी। ताकि लोगों को प्रदूषण से छुटकारा मिल सके। यहां बताना जरूरी है कि बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना के उद्घाटन की तारीख चार दफा तय की गई और रद्द हुई। असल में इस परियोजना का काम पूरा नहीं हो पाया था। बीते 20 सितंबर उद्घाटन के ठीक एक दिन पहले ट्रायल के दौरान ही नहर की दीवार ध्वस्त हो गई थी। इसी वजह से उद्घाटन टाल दिया गया था। इसके बाद 15 फरवरी को मुख्यमंत्री से सिर्फ उद्घाटन कराया गया और नहर में पानी छोड़ने का जोखिम नहीं लिया गया। असल में ट्रायल के दौरान पानी रिसाव की शिकायतें मिल रही थी।
ध्यान रहे कि इस परियोजना को जनवरी 1977 में योजना आयोग ने मंजूरी दी थी। जिसकी 13 करोड़ 88 लाख रुपए लागत आंकी गई थी। बाद में इसमें इजाफा होकर इसकी लागत 389.31 करोड़ रुपए हो गई। साल 2016 में जलसंसाधन मंत्रालय की सलाहकार समिति ने 828.80 करोड़ रुपए पुनरीक्षित लागत की मंजूरी दी। इसमें बिहार सरकार को 636.95 करोड़ और बाकी 191.85 करोड़ रुपए झारखंड सरकार को खर्च करना है। इस नहर से बिहार की 22716 और झारखंड के 4887 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी। साथ ही जमीन की सिंचाई के लिए 148.70 आरडी नहर निर्माण होना है। बीते 40 साल में बिहार के हिस्से की 55 आरडी नहर में केवल 30 ही बन पाई हैं।
वहीं, झारखंड की 93 आरडी नहर बननी बाकी हैं। यह लिफ्ट सिंचाई श्रेणी की योजना है। इसके तहत भागलपुर कहलगांव के शेखपुरा गांव स्थित कोआ व गंगा नदी के संगम के नजदीक पंप हाउस नंबर एक बनाया गया है। इससे डेढ़ किलोमीटर दूर शिवकुमारी पहाड़ी के नजदीक पंप हाउस नंबर दो बना है। इन दोनों पंप हाउस से गंगा नदी के पानी को दो स्टेज पर 17 और 27 मीटर लिफ्ट कर मुख्य नहर व इससे निकली वितरण प्रणाली को सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए 630 एचपी के छह-छह और 450 एचपी के छह-छह मोटर पंप लगाए गए हैं, जिसके जरिए रोजाना एक हजार क्यूसेक पानी नहर में छोड़ने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 76 फीसदी लोगों की आजीविका कृषि पर निर्भर है। इनके फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए बिहार में काफी कुछ किया जा रहा है ताकि किसानों जीवन स्तर सुधरे।