दो दशक तक एकला चला ये ‘वामपंथी दिग्गज’, अब थाम रहे लालू-हेमंत का हाथ!
बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की राजनीति में कभी आक्रामक भूमिका निभाने वाली वामपंथी पार्टी सीपीआई-एमएल पिछले दो दशक से राजनीतिक गठजोड़ से अपने को अलग रखे हुए हैं। इस दौरान माले ने एकला चलो की नीति अपनाई लेकिन अब पार्टी ने अपने वजूद को बचाने के लिए बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाले गठबंधन से हाथ मिलाने का फैसला किया है। आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर सीपीआई-एमएल के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने रांची में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की है और दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। भट्टाचार्य ने पटना जाकर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से भी मुलाकात की है। हालांकि, उनका कहना है कि ये मुलाकात राजनैतिक नहीं है बल्कि वो लालू यादव का हाल-चाल जानने के लिए उनसे मिलने गए थे।
दरअसल, सियासी जगत का यह बड़ा बदलाव अचानक नहीं हुआ है। साल 2014 की मोदी लहर में भाकपा-माले का गढ़ कहेजाने वाले झारखंड की बगोदर विधानसभा सीट से भी बीजेपी उम्मीदवार की जीत हुई। वहां से लंबे समय तक विधायक रहे दिवंगत माले नेता महेंद्र सिंह के बेटे बिनोद सिंह अपनी विरासत बचाने में नाकाम रहे। हालांकि, बगल की राजधनवार विधान सभा सीट पर माले के राजकुमार यादव जीत पाने में कामयाब रहे मगर उनकी जीत से भी पार्टी के वजूद पर खासा प्रभाव नहीं पड़ा। ऐसी सूरत में माले ने 2019 को देखते हुए मोदी लहर और बीजेपी से सामना करने के लिए महागठबंधन में शामिल होने का फैसला किया है। यह अलग बात है कि दीपंकर भट्टाचार्य लंबे समय से राजद अध्यक्ष लालू यादव और झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन को भ्रष्ट कहते रहे हैं।
बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की राजनीति में कभी आक्रामक भूमिका निभाने वाली वामपंथी पार्टी सीपीआई-एमएल पिछले दो दशक से राजनीतिक गठजोड़ से अपने को अलग रखे हुए हैं। इस दौरान माले ने एकला चलो की नीति अपनाई लेकिन अब पार्टी ने अपने वजूद को बचाने के लिए बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाले गठबंधन से हाथ मिलाने का फैसला किया है। आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर सीपीआई-एमएल के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने रांची में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की है और दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। भट्टाचार्य ने पटना जाकर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से भी मुलाकात की है। हालांकि, उनका कहना है कि ये मुलाकात राजनैतिक नहीं है बल्कि वो लालू यादव का हाल-चाल जानने के लिए उनसे मिलने गए थे।
दरअसल, सियासी जगत का यह बड़ा बदलाव अचानक नहीं हुआ है। साल 2014 की मोदी लहर में भाकपा-माले का गढ़ कहेजाने वाले झारखंड की बगोदर विधानसभा सीट से भी बीजेपी उम्मीदवार की जीत हुई। वहां से लंबे समय तक विधायक रहे दिवंगत माले नेता महेंद्र सिंह के बेटे बिनोद सिंह अपनी विरासत बचाने में नाकाम रहे। हालांकि, बगल की राजधनवार विधान सभा सीट पर माले के राजकुमार यादव जीत पाने में कामयाब रहे मगर उनकी जीत से भी पार्टी के वजूद पर खासा प्रभाव नहीं पड़ा। ऐसी सूरत में माले ने 2019 को देखते हुए मोदी लहर और बीजेपी से सामना करने के लिए महागठबंधन में शामिल होने का फैसला किया है। यह अलग बात है कि दीपंकर भट्टाचार्य लंबे समय से राजद अध्यक्ष लालू यादव और झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन को भ्रष्ट कहते रहे हैं।