इलाहाबाद के कुम्‍भ में बिछरकर 5 साल बाद परिवार से मिले ये 67 वर्षीय बुजुर्ग

पांच साल पहले कुंभ के मेले में खोए एक बुजुर्ग को उसका घर फिर से मिल गया है। 2012 में 67 वर्षीय सांताराम श्रद्धालुओं के समूह के साथ तीर्थ यात्रा पर निकले थे, लेकिन कुंभ मेले में वह खो गए। 31 जनवरी 2017 को सांताराम को बुजुर्गों के लिए काम करने वाली संस्था ‘अपना घर’ के वृद्धाश्रम में लाया गया। वृद्धाश्रम के लोग उनसे नाम और पता पूछते रहे, लेकिन वह खामोश रहे और कुछ भी नहीं बताया। फिर एक दिन उन्होंने बताया कि वह राजस्थान के बाड़मेर के रहने वाले हैं। इसके बाद पुलिस की मदद से जांच-पड़ताल हुई और बुजुर्ग को उसके परिवार से शुक्रवार (5 जनवरी को) मिलाया गया। सांताराम को उनके परिवार से मिलाने में प्रशासन और पुलिस का बड़ा योगदान रहा।

हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक खोए हुए सांताराम को वृद्धाश्रम के एक शख्स ने साल भर पहले इलाहाबाद की सड़क पर देखा था। वहां से उन्हें अजमेर लाया गया। संस्था के अजमेर और भरतपुर स्थित वृद्धाश्रमों में कुछ महीने रहने के बाद बुजुर्ग को 21 सितंबर 2017 को बीकानेर लाया गया। बीकानेर वृद्धाश्रम के मैनेजर ज्ञान सिंह ने बताया कि उन्होंने कई बार बुजुर्ग से उनका नाम और पता और परिवार के बारे में पूछा, लेकिन उन्होंने कभी कुछ नहीं बताया, इसलिए बुजुर्ग नाम कुंदन रख दिया। ज्ञान सिंह ने बताया कि वृद्धाश्रम के लोग बुजुर्ग की असली पहचान और उन्हें उनके घर पहुंचाने की उम्मीद छोड़ चुके थे। लेकिन एक दिन डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (डीएलएसए) के लोग आए और उन्होंने जब बुजुर्ग से उनका नाम पूछा तो उन्होंने सांताराम बताया। बुजुर्ग ने यह भी बताया कि वह बाड़मेर के परेउ गांव का रहने वाले हैं।

ज्ञान सिंह ने बताया कि यह जानकर उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा और जब उन्होंने बुगुर्ग से पूछा कि इतने दिनों तक वह कुछ भी बताने को तैयार क्यों नहीं हुए, तो बुजुर्ग ने कहा कि जब उसने कोट पहने हुए डीएलएसए के लोगों को देखा तो उन्हें लगा कि वे प्रभावशाली लोग हैं और उसे उसके घरवालों से मिलवा देंगे।

संयोग से डीएलएसए टीम का ड्राईवर बाड़मेर का ही रहने वाला था, उसने तुरंत उस पुलिस थाने से संपर्क किया जिसके अंतर्गत परेऊ गांव आता है। पुलिस ने बुजुर्ग के खोए होने की पुष्टि कर दी। पुलिस ने बताया कि अगस्त 2012 में सांताराम की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई गई थी। पुलिस को सांताराम की एक फोटो व्हॉट्सएप के जरिये भेजी गई थी। पुलिस ने उसके घरवालों को सूचना दे दी। जब सांताराम अपने घरवालों से मिले तो उन्होंने उन्हें गले से लगा लिया और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। घरवालों ने भी बताया कि श्रद्धालुओं के समूह के साथ सांताराम पांच साल पहले निकले थे, लेकिन लौटकर नहीं आए। इसके बाद उनके खो जाने की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी। सांताराम को देखने 100 लोग आए थे।

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