सीआरपीएफ क्वार्टर बना मासूम और उसकी बूढ़ी माँ के किए जेल से भी बदतर, साल भर से थे कैद
लुधियाना में सात साल के बच्चे के साथ पिछले एक साल से सीआरपीएफ क्वार्टर में कैद महिला को मुक्त कराया गया। यह कार्रवाई लुधियाना की जिलास्तरीय कानूनी टीम ने की। जांच में पता चला कि महिला और उसके सात साल के बच्चे को 30 वर्षीय सौतेले पुत्र ने कैद कर रखा था।दरअसल मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और डीएलएसए सचिव गुरप्रीत कौर को महिला और बच्चे के सीआरपीएफ क्वार्टर में कैद होने की शिकायत मिली थी। जिस पर उन्होंने सिविल सर्जन, मनोचिकित्सक और वकील की टीम के साथ संबंधित क्वार्टर पर छापेमारी की।
मकान के अंदर घुसने पर टीम ने पाया कि सुधा बिस्तर पर बिना कपड़े के पड़ी हुई कांप रहीं हैं। बिस्तर के आसपास मल-मूत्र पड़ा था। महिला चल-फिर पाने में असमर्थ थी। सात वर्षीय पुत्र शिव भी दूसरे कमरे में गंदगी के बीच मिला। बच्चा भी डिहाइड्रेशन और कम वजन का शिकार मिला। चिकित्सकों के मुताबिक कुछ समय तक और कैद रहने पर बच्चे की मौत हो सकती थी। पिछले वर्ष पति के निधन के बाद से सुधा मानसिक रूप से परेशान रहने लगीं। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गुरप्रीत कौर ने कहा कि पिता के निधन से पहले बच्चा स्कूल जाता था। पूरा परिवार खुश था। मगर सुधा के पति के निधन के बाद जीवन दुश्वारियों से घिर गया।
सौतेले बेटे ने दोनों को कमरे में बंद कर दिया। महिला ने कई बार आत्महत्या की भी कोशिश की। छापामारी करने गई टीम के एक सदस्य ने कहा कि हमने सौतेले बेटे से भी बात की मगर वह भी मानसिक बीमार मिला। टीम ने जांच में पाया कि सौतेला बेटा पहले कुछ समय तक भोजन पहुंचा जाता था, मगर पिछल कुछ हफ्ते से वह कमरे में गया ही नहीं था। टीम ने बच्चे को दुगरी के अस्पताल में भर्ती कराया है। वहीं महिला का सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा है। बताया जा रहा है कि जिलास्तरीय टीम जल्द ही मां और बेटे के पुनर्वास की व्यवस्था करेगी। उधर टीम ने महिला के पड़ोसिया की संवेदनशीलता पर भी सवाल उठाए। जांच में कुछ पड़ोसियों ने बताया कि वे कुछ समय तक खाना देते थे, मगर मदद नियमित नहीं हो पाती थी।