84 मामले पर अमरिंदर सिंह ने कहा- दंगों में 4 कांग्रेसियों के नाम मैंने भी सुने

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोमवार को प्रदेश विधानसभा में कहा कि उन्होंने खुद सुना है कि सिख विरोधी दंगों में चार कांग्रेसी नेताओं, एचकेएल भगत, सज्जन कुमार, अर्जुन दास और धर्मदास शास्त्री, का नाम आया। सदन में हंगामे के बीच अमरिंदर ने इस बारे में अपने अनुभव का ब्योरा देते हुए कहा कि दंगों के दौरान ‘मैं गुरुद्वारा रकाबगंज में पीड़ितों से मिला। कई लोग डरे-सहमे थे और कुछ बोल तक नहीं पा रहे थे। मैंने तब कुछ लोगों से बात की और उन्होंने चार-पांच लोगों का नाम लिया जिनमें एचकेएल भगत, सज्जन कुमार, अर्जुन दास और धर्मदास शास्त्री शामिल थे।’

अमरिंदर का बयान ऐसे समय आया है जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में इन दंगों में कांग्रेस के शामिल होने से इनकार किया। राहुल ने लंदन में एक कार्यक्रम में कहा था, ‘मेरे मन में उसके बारे में कोई भ्रम नहीं है। यह एक त्रासदी थी, यह एक दुखद अनुभव था। आप कहते हैं कि उसमें कांग्रेस पार्टी शामिल थी, मैं इससे सहमति नहीं रखता। निश्चित तौर पर हिंसा हुई थी, निश्चित तौर पर वह त्रासदी थी। मुझे लगता है कि किसी के भी खिलाफ कोई भी हिंसा गलत है। भारत में कानूनी प्रक्रिया चल रही है लेकिन जहां तक मैं मानता हूं उस समय कुछ भी गलत किया गया तो उसे सजा मिलनी चाहिए और मैं इसका 100 फीसद समर्थन करता हूं।’ बाद में लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में एक सत्र के दौरान जब राहुल से सिख विरोधी दंगों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था, ‘जब मनमोहन सिंह ने कहा तो वह हम सभी के लिए बोले। जैसा मैंने पहले कहा था कि मैं हिंसा का पीड़ित हूं और मैं समझता हूं कि यह कैसा लगता है।’ सोमवार को पंजाब विधानसभा में हंगामा तब हुआ जब शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, शिअद विधायकों और बिक्रमजीत सिंह मजीठिया ने राहुल गांधी के उक्त बयान पर कांग्रेस को खरी-खरी सुनाई। इस पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बीच-बचाव कर अकाली नेताओं को शांत रखने का प्रयास करते हुए कहा कि उन्होंने भी दंगों में कुछ कांग्रेसियों का नाम सुना है। अमरिंदर ने साथ ही कहा कि बतौर पार्टी, कांग्रेस, सिख विरोधी दंगों में शामिल नहीं थी।

कैप्टन ने कहा, ‘मुझे इसकी पृष्ठभूमि बताने दीजिए। जब दंगे हुए तो मैं अपने भाइयों- रणधीर सिंह, रवि इंदर सिंह और मलविंदर सिंह के साथ नई दिल्ली गया हुआ था। तब चार दिन तक मैं दिल्ली में ही चक्कर लगाता रहा था और वहां ट्रांस यमुना समेत दंगा प्रभावित सभी इलाकों में गया। वहां मैंने मृतकों के शव पानी में तैरते देखे, कई जगह दंगे हो रहे थे। मैं गुरुद्वारा रकाबगंज में पीड़ितों से भी मिला। कई लोग डरे-सहमे थे और कुछ बोल तक नहीं पा रहे थे। मैंने तब कुछ लोगों से बात की और उन्होंने चार-पांच लोगों का नाम लिया जिनमें में एचकेएल भगत, सज्जन कुमार, अर्जुन दास और धर्मदास शास्त्री शामिल थे।’ विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह ने मुख्यमंत्री द्वारा बोले गए नाम विस कार्रवाई से बाहर कर दिए पर जब जब मुख्यमंत्री ने उन्हें कहा तो नामों को फिर कार्रवाई में शामिल कर लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन नामों को कार्रवाई से निकालने की जरूरत नहीं क्योंकि इन पर बीते 34 साल से बहस जारी है और उन्हें जनता भी जानती है। कैप्टन ने कहा, ‘मैंने जो कहा वह मैं 1984 से कहता आ रहा हूं। मैंने ये नाम कई बार लिए हैं।’ इसके बावजूद विपक्षी विधायकों ने हंगामा जारी रखा।

सुखबीर सिंह बादल ने पूछा कि अमरिंदर सिंह क्यों बार-बार दंगों में संलिप्त लोगों को चुनाव लड़ने को टिकट देते आए और उनमें से कुछ को मंत्री भी बना दिया गया। सुखबीर ने कहा, ‘मैं मुख्यमंत्री की साफगोई की कद्र करता हूं पर उन्हें बताना होगा कि ऐसे लोगों को मंत्री क्यों बनाया गया?’ इसके बाद जैसे ही बिक्रमजीत बोलने लगे तो कैप्टन ने उन्हें चुप कराते हुए कहा, ‘बिक्रम तब आप केवल आठ साल के रहे होंगे। आप कैसी बात करते हैं? आप 1976 में पैदा हुए।’मुख्यमंत्री ने अकालियों से कहा, आप लोग भी सिख दंगों का मसला तभी उठाते हैं जब आपको अपने माफिक लगता है।’ उधर, अरसे से कांग्रेस नेताओं के खिलाफ सिख दंगों के मामले लड़ते आ रहे आप विधायक एचएस फूलका भावुक होते हुए सदन के बीचोंबीच पहुंच गए और मुख्यमंत्री के तथ्यों को गलत ठहराने लगे।

जनता जानती है
विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह ने मुख्यमंत्री द्वारा बोले गए नाम विस कार्रवाई से बाहर कर दिए पर जब जब मुख्यमंत्री ने उन्हें कहा तो नामों को फिर कार्रवाई में शामिल कर लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन नामों को कार्रवाई से निकालने की जरूरत नहीं क्योंकि इन पर बीते 34 साल से बहस जारी है और उन्हें जनता भी जानती है। कैप्टन ने कहा, ‘मैंने जो कहा वह मैं 84 से कहता आ रहा हूं।’

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