95 लाख नहीं चुका सकी कांग्रेस, वसूली के लिए जब्त होगा दफ्तर का सामान
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में रखे सामानों को जब्त करने की कवायद शुरू हुई है। एक बिल्डर की गुहार पर तीस हजारी कोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई शुरू हुई है। बिल्डर का दावा है कि दफ्तर का निर्माण करवाने के बाद पार्टी ने बकाया धनराशि का भुगतान नहीं किया। कोर्ट के आदेश पर कुर्की करने पहुंची टीम को कार्यालय पर ताला लगा मिला। जिस पर टीम खाली हाथ वापस चली गई। कांग्रेसियों ने कार्यालय के दोनों गेट पर ताले जड़ दिए थे। जब टीम पहुंची तो तमाम कांग्रेसी कार्यकर्ता दफ्तर के बाहर जुट गए। बिल्डर के वकील विनय गुप्ता ने कहा,”जब हम कोर्ट स्टाफ और पुलिस के साथ दफ्तर पर पहुंचे तो दफ्तर पर ताला लगा मिला। जिससे कुर्की की कार्रवाई नहीं हो सकी।”
क्या है मामलाः दरअसल राउज एवेन्यू स्थित दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के भवन निर्माण का ठेका विनोद गोयल व उनके भाई को मिला था। उनकी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 2003-4 के बीच भवन बनाकर पार्टी के हवाले कर दिया था। पार्टी ने इसका टेंडर 2001 में निकाला था। गोयल के मुताबिक उन्हें निर्माण के पूरे पैसे मिले ही नहीं। पार्टी ने सिर्फ 38 लाख चेक से भुगतान किए, जबकि दूसरी किश्त में 57 लाख रुपये का भुगतान ही नहीं किया। जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट में गुहार लगाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने मामला तीस हजारी कोर्ट को भेज दिया।करीब 13 साल चली सुनवाई के बाद तीस हजारी कोर्ट ने बीते छह जनवरी 2018 को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी को ब्याज सहित पूरे बकाए के भुगतान का आदेश दिया। बिल्डर के मुताबिक पार्टी पर उसका कुल 94,82,805 रुपये बकाया हैं।
कोर्ट के आदेश के बावजूद पार्टी ने भुगतान नहीं किया तो बिल्डर ने फिर तीस हजारी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिस पर अतिरिक्त जिला जज सुनील बेनीवाल ने 23 फरवरी को वारंट जारी करते हुए पार्टी कार्यालय में मौजूद चल-संपत्तियों को जब्त कर वसूली करने का आदेश दिया। इसी सिलसिले में सोमवार(5 मार्च) को दिल्ली प्रदेश कार्यालय पर कुर्की करने टीम पहुंची। बताया जाता है कि कांग्रेसियों को इसकी भनक पहले ही लग गई, जिस पर उन्होंने कार्यालय के दोनों प्रवेश द्वार पर ताला जड़ दिया।
ताकि कोर्ट से भेजी गई टीम कुर्की की कार्रवाई न कर सके। इस केस की अगली सुनवाई नौ मार्च को होनी है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष छत्तर सिंह कहते हैं कि हम इस मामले में हाई कोर्ट के संपर्क में हैं। यह बहुत पुराना मामला है, ”ठेकेदार के साथ संभवतः उस समय कुछ विवाद रहा होगा। पार्टी समस्त धनराशि का भुगतान कर चुकी है।”