अमेरिका: परमाणु नि:शस्त्रीकरण संधि से एक भी परमाणु हथियार का उन्मूलन नहीं होगा
इस साल नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले संस्थान द्वारा सर्मिथत परमाणु हथियार निषेध संधि पर अमेरिका का कहना है कि उसका इसपर हस्ताक्षर करने का कोई इरादा नहीं है। हालांकि उसने ‘परमाणु नि:शस्त्रीकरण के लिए वातावरण’ तैयार पर अपनी प्रतिबद्धता जताई। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एएफपी को बताया, “आज की घोषणा से संधि पर अमेरिका के रुख में बदलाव नहीं आएगा। अमेरिका इसका समर्थन नहीं करता है और वह ‘परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि’ पर हस्ताक्षर नहीं करेगा।”
प्रवक्ता ने कहा, “यह संधि दुनिया को ज्यादा शांतिपूर्ण नहीं बनाएगी, इससे एक भी परमाणु हथियार का उन्मूलन नहीं होगा और न ही इससे किसी देश की सुरक्षा बढ़ेगी।” उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि विश्व में परमाणु हथियार से लैस देशों में से किसी ने भी इस संधि का अभी तक समर्थन नहीं किया है। गौरतलब है कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब परमाणु हथियारों को दुनिया से समाप्त कर, इसे इतिहास बनाने का प्रयास करने वाले इंटरनेशनल कैम्पेन टू एबोलिश न्यूक्लियर वेपंस (आईकैन) को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है।
बता दें कि इस साल जुलाई महीने में संयुक्त राष्ट्र में 122 देशों द्वारा इस संधि को स्वीकार करने में इस संगठन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह संधि बड़े पैमाने पर प्रतीकात्मक ही थी क्योंकि परमाणु हथियार रखने वाले या संदिग्ध नौ देशों- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राइल और उत्तर कोरिया ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। इसके साथ ही साथ उत्तर कोरिया और ईरान से जुड़ा परमाणु हथियार संकट गहरा रहा है, यह बेहद समीचीन है।
पुरस्कार का घोषणा करते हुए नोर्वेगिएन नोबेल कमेटी के अध्यक्ष बेरिट रिएस एंडर्सन ने कहा कि आईसीएएन ग्रुप द्वारा परमाणु हथियारों को समाप्त करने के लिए बहुत बड़े पैमाने पर कैंपेन चलाया गया है। परमाणु हथियारों के कारण मानवतावादी परिणामों को खतरा पहुंच सकता है जिसे ध्यान में रखते हुए ऐसे हथियारों के लिए की जानी वाली संधि के विरुध आईसीएएन लड़ता आया है। पिछले काफी समय से आईसीएएन संस्था दुनिया को न्यूक्लियर मुक्त बनाने के लिए जी जान से लगी हुई है।