कोर्ट ने कहा- घाटी में हिंसा थमने तक बातचीत संभव नहीं, पैलेट गन पर रोक लगाने वाली याचिका फिर खारिज
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जम्मू कश्मीर में उस समय तक सार्थक बातचीत संभव नहीं है जब तक कि घाटी में हिंसा नहीं थमती।
उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि जम्मू कश्मीर में उस समय तक सार्थक बातचीत संभव नहीं है जब तक कि घाटी में हिंसा नहीं थमती। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘‘किससे बातचीत की जाए? जब तक ंिहसा नहीं रुकती, कोई बातचीत नहीं हो सकती।’’ शीर्ष अदालत जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ बार एसोसिएशन कार्यकारी सदस्य की अपील पर सुनवाई कर रही थी।
उच्च न्यायालय ने बार निकाय की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें इस आधार पर पैलेट गन के उपयोग पर रोक लगाने की मांग की गयी थी कि केंद्र ने पैलेट गन का विकल्प तलाशने के लिए पहले ही विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है।न्यायालय ने कहा कि मामले पर फैसले के दो तरीके हैं। या तो पार्टियां एक साथ बैठें और कोई समाधान निकालें या अदालत मामले का फैसला करे।न्यायालय ने कहा कि बार एक ‘‘जिम्मेदार और सम्मानित’ निकाय है तथा उसे कोई समाधान ढूंढने में मदद करनी चाहिए। अदालत ने याचिका पर अंतिम सुनवाई के लिए चार अक्तूबर की तारीख तय की है।