BHU और AMU के प्रोफेसरों का निशाना- नाम बदलने के बजाय, कुछ अच्छे काम करे UGC
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पैनल की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के नाम से ‘हिंदू और ‘मुस्लिम’ शब्द हटाने की सिफारिश पर प्रोफेसरों ने एतराज जताया है। न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बीएचयू के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह ने कहा, ”हिंदू’ शब्द बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की और ‘मुस्लिम’ शब्द अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की खूबसूरती है।’ साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में मुस्लिम और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हिंदू छात्रों को दाखिला नहीं मिलता है।
सिंह ने कहा कि किसी दुकान का साइनबोर्ड बदलने से, उसमें बिकने वाला सामान नहीं बदल जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि यूजीसी यूनिवर्सिटीज के नाम बदलने की बजाय कुछ नए कोर्स या अन्य अच्छे काम करें। प्रोफेसर ने साथ ही इस कदम के पीछे राजनीतिक मंशा का भी शक जाहिर किया है। हालांकि, पैनल की सिफारिश पर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के नाम बदलने का सरकार को कोई निर्णय नहीं है।
एक अन्य प्रोफेसर देवव्रत चौबे ने कहा, ‘हिंदू और मुस्लिम शब्द सदियों पुराने हैं। इन यूनिवर्सिटीज का ना केवल गौरवशाली अतीत रहा है, बल्कि ये अपने नाम से पूरी दुनिया में भी विख्यात हैं।’ साथ ही चौबे ने कहा, ‘अगर धार्मिक बोध कराने वाले इन यूनिवर्सिटीज में शैक्षणिक गुणवता कोई छेड़छाड़ होती या वहां सांप्रदायिकता या आतंक पनपता तो ऐसे सुझावों पर गौर किया जा सकता है।’
वहीं पैनल की सिफारिश पर अलीगढ़ यूनिवर्सिटी ने कहा है कि एएमयू हमेशा से धर्मनिरपेक्ष रही है तो ऐसे में यह विचार विरोधाभासी है। इंडिया टुडे.कॉम ने अपनी रिपोर्ट में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पीआरओ मोहम्मद असीम सिद्दिकी के हवाले से लिखा है, ‘मैंने सुबह यह रिपोर्ट देखी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम से यह कहीं भी नहीं लगता कि ये यूनिवर्सिटी धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं। यूनिवर्सिटी हमेशा से धर्मनिरपेक्ष रही है तो ऐसे में यह सिफारिश विरोधाभासी है।’ साथ ही उन्होंने कहा कि इन यूनिवर्सिटीज में छात्रों का प्रवेश धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि मेरिट के आधार पर होता है।