राम रहीम केस: सजा बढ़ाने-घटाने पर दो याचिकाएं स्वीकार
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की ओर से सजा कम किए जाने की याचिका और पीड़िताओं की ओर से बीस साल की सजा को उम्र कैद में बदले जाने की दोनों याचिकाओं को सोमवार को स्वीकार करते हुए सीबीआइ को नोटिस जारी कर दिया है। सीबीआइ की ओर से नोटिस का जवाब देने के बाद जहां दोनों मामलों की सुनवाई शुरू होगी वहीं हाईकोर्ट ने इन मामलों का फैसला आने तक दोनों पीड़ित साध्वियों को मुआवजा देने पर रोक लगा दी है। यौन शोषण मामले में सीबीआइ की पंचकूला कोर्ट ने 25 अगस्त को दोषी करार देते हुए 28 अगस्त को फैसला सुनाया था। सीबीआइ ने राम रहीम को दोनों मामलों में दस-दस साल की सजा और 15-15 लाख रुपए जुर्माना अदा करने को कहा था। सीबीआइ कोर्ट ने इस धनराशि में से 14-14 लाख रुपए दोनों पीड़िताओं को मुआवजे के रूप में अदा करने के निर्देश जारी किए थे। इस बीच राम रहीम ने सीबीआइ कोर्ट के फैसले को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दे डाली और दूसरी तरफ दोनों साध्वियों ने राम रहीम की बीस वर्ष की सजा को उम्र कैद में बदलने के लिए याचिका दायर कर डाली।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इन दोनों याचिकाओं को स्वीकार कर लिया। कोर्ट में बचाव पक्ष के वकीलों ने बाकी पेज 8 पर सजा बढ़ाए जाने वाली याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पीड़िताओं ने तय समय सीमा के बाद सामने आकर बयान दर्ज करवाए हैं। बयान दर्ज करवाने की कार्रवाई दबाव में हुई है। सीबीआइ कोर्ट ने जो सजा दी वह पहले ही ज्यादा है। इस सजा को कम किया जाए। दूसरी तरफ सीबीआइ के वकील ने इस केस में अधिक सजा के प्रावधान व डेरा मुखी के गिरफ्तार होने के बाद हुए खुलासों का जिक्र करते हुए सजा को बढ़ाने की मांग की। इसके बाद हाईकोर्ट ने दोनों याचिकाओं को स्वीकार करते सीबीआई को नोटिस जारी कर दिया। जिसे सीबीआइ ने तत्काल प्रभाव से स्वीकार भी कर लिया है। हाईकोर्ट ने डेरा मुखी के वकीलों को निर्देश दिए हैं कि वह दो माह के भीतर-भीतर जुर्माने के रूप में तय की गई धनराशि को सीबीआइ के पास जमा करवाएं। सीबीआइ द्वारा इस धनराशि को किसी राष्टÑीय बैंक में जमा करवाया जाएगा। इस धनराशि में से मुआवजा तब तक पीड़िताओं को नहीं दिया जाएगा जब तक स्वीकार हुई याचिकाओं पर फैसला नहीं आ जाता है।