सृजन घोटाला: संसाधनों की कमी से जूझ रही है CBI टीम, टाइपिस्ट भी मिल रहा जुगाड़ के भरोसे
सैकड़ों करोड़ रुपये के सृजन फर्जीवाड़े की जांच कर रही सीबीआई टीम संसाधनों की कमी से जूझ रही है। यहां तक कि उसे हिंदी और अंग्रेजी टाइपिस्ट भी ज़िला प्रशासन मुहैया नहीं करा पा रहा है। जानकार सूत्र बताते है कि इस सिलसिले में जांच अधिकारी भागलपुर के ज़िलाधीश आदेश तितमारे से तीन दफा मिल अनुरोध कर चुके है। बताते है कि हालांकि जिलाधिकारी के मातहत दफ्तरों में भी टाइपिस्टों की भारी कमी है। फिर भी विश्वविद्यालय , कृषि विश्वविद्यालय और एनटीपीसी सरीखे संस्थानों से इस बाबत सहयोग करने की बात डीएम स्तर से की जा रही है। यों बिहार सरकार के सामान्य महकमा को थोड़े रोज पहले भी टाइपिस्ट की कमी से अवगत कराया गया था। पर अबतक कोई नतीजा नहीं निकला है। और तो और सृजन घोटाले के बाद ज़िले में अफसरों का टोंटा हो गया है। मिसाल के तौर पर कल्याण अधिकारी अरुण कुमार सृजन फर्जीवाड़े में गिरफ्तार हो जेल में बंद है। डिप्टी कलेक्टर रैंक के अफसर नजारत अधिकारी राजीव रंजन सिंह सृजन घपले में संदिग्ध होने की वजह से फरार रहते 31 अगस्त को रिटायर हो गए। उपविकास आयुक्त अमित कुमार और नगर निगम के नगर आयुक्त एके सिंह को पदोन्नति देकर सरकार ने तबादला कर दिया। एक एडीएम हरिशंकर प्रसाद का नाम चावल घोटाले में आ जाने के बाद से वे लंबी छुट्टी पर चले गए है। कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया है। कई पद खाली पड़े है। दिक्कत यह भी है कि सृजन फर्जीवाड़े की वजह से अफसर भागलपुर में पोस्टिंग लेने से कतराते है।
सूत्रों के मुताबिक ज़िला प्रशासन ने डीडीसी, ज़िला कल्याण अधिकारी, ज़िला कार्यक्रम अधिकारी, सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक, नगर आयुक्त, डीआरडीए निदेशक , एडीएम समेत एक दर्जन अधिकारियों की तैनाती का अनुरोध बिहार सरकार से किया है। जो अधिकारी ज़िले में है उन्हें कई महकमों का जिम्मा संभालना पड़ रहा है। सृजन के खेल का बारीकी से हरेक महकमा अपने स्तर से भी जांच में लगा है। इसके अलावे सीबीआई भी हिसाब किताब समझने के लिए इनको तलब करती रहती है। सीबीआई ने अपना कैंप दफ्तर सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस को बना रखा है। यहीं पर शक के आधार पर सरकारी , बैंक , सहकारिता कर्मचारियों और अधिकारियों व सृजन से जुड़े लोगों को बुला या वे खुद डर से आकर पूछताछ के लिए हाजिर हो रहे है। 16 सदस्यीय टीम फिलहाल 22 में से 15 एफआईआर का जिम्मा ले जांच कर रही है। मगर फिलहाल इन्हें कम्प्यूटर में आरोपपत्र या दूसरे कागजात तैयार करने के वास्ते टाइपिस्टों की जरूरत है।
दिलचस्प बात जानकार बताते है कि सृजन घपले की जांच की हेड सीबीआई की एसपी एस किरण है। मगर अबतक वे भागलपुर नहीं आ सकीं हैं। दिल्ली से ही मामले की निगरानी कर रही है। जाहिर है संसाधन की कमी की वजह से जांच का काम भी रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। तभी सृजन के दुर्जन इत्मीनान से तफरी कर रहे हैं। इसमें रंक से राजा बने हरेक तबके के लोग शरीक है।