मौलाना को मुस्लिम महिला ने चेताया- तीन तलाक बैन का विरोध किया तो जाओगे जेल
एक टीवी डिबेट ने एक तलाक पीड़िता को कहा कि अगर आपके शौहर ने एक बार भी तलाक बोल दिया तो आप उसके लिए हराम हो गई अब कोर्ट के कहने से हराम हलाल नहीं हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसले में सुन्नी मुस्लिमों में प्रचलित एक बार में ‘तीन तलाक’ कह कर तलाक देने की 1400 साल पुरानी प्रथा को गैर संवैधानिक करार देते खत्म कर दिया। कोर्ट ने इसे पवित्र कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ और इससे इस्लामिक शरिया कानून का उल्लंघन होने सहित अनेक आधारों पर निरस्त कर दिया। इस फैसले के बाद पूरे देश में इस विषय पर बहस गर्म हो गई। जहां एक तरफ कुछ मौलाना ने कोर्ट के फैसले का समर्थन किया तो वहीं कुछ इस फैसले के बाद भी घुमा फिरा कर अपनी बात को ऊपर रखने की कोशिश करते दिखे। ऐसी ही एक टीवी डिबेट ने एक तलाक पीड़िता को कहा कि अगर आपके शौहर ने एक बार भी तलाक बोल दिया तो आप उसके लिए हराम हो गई अब कोर्ट के कहने से हराम हलाल नहीं हो सकता है। मौलाना कि इस बात पर वहां मौजूद दूसरी महिलाएं भड़क गई ऐसी ही एक महिला ने मौलवी से कहा कि आपकी हलाला की दुकान बंद हो रही है। ये हरामकारी नहीं है। हलाला एक्सपर्ट के नाम से प्रोफाइल बना रखी है। इस्लान की किसी किताब में नहीं लिखा कि औरत को एक रात के लिए खरीदों और दूसरे के हवाला कर दो। ये दुकाने बंद हो चुकी है अगर आप इसके खिलाफ जाओगी तो हम आपको जेल का रास्ता दिखाएंगे।
इससे पहले मंगलवार सुबह पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कह कि, ‘‘3:2 के बहुमत में रिकार्ड की गयी अलग अलग राय के मद्देनजर तलाक-ए-बिद्दत् (तीन तलाक) की प्रथा निरस्त की जाती है।’’ संविधान पीठ के 395 पेज के फैसले मे तीन अलग-अलग निर्णय आये। इनमें से बहुमत के लिये लिखने वाले न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति एस ए नजीर के अल्पमत के इस दृष्टिकोण से सहमत नहीं थे कि ‘तीन तलाक’ धार्मिक प्रथा का हिस्सा है और सरकार को इसमें दखल देते हुये एक कानून बनाना चाहिए। तीन न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जोसफ, न्यायमूर्ति नरीमन और न्यायमूर्ति यू यू ललित ने सीजेआई और न्यायमूर्ति नजीर से महत्वपूर्ण मुद्दे पर असहमति जताई कि क्या तीन तलाक इस्लाम के लिये आधारभूत तत्व है।