पाकिस्तान: सरकार ने सबूत दाखिल नहीं किए तो 26/11 का मास्टरमाइंड हाफिज सईद नजरबंद नहीं रह जाएगा

लाहौर उच्च न्यायालय ने आगाह किया है कि अगर पाकिस्तान सरकार मुंबई आतंकवादी हमले के सरगना हाफिज सईद के खिलाफ सबूत दाखिल नहीं करती है तो उसकी नजरबंदी रद्द कर दी जाएगी। जमात उद-दावा का प्रमुख सईद 31 जनवरी से ही नजरबंद है। लाहौर उच्च न्यायालय ने कल उसकी हिरासत के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई की। माना जा रहा था कि इस सुनवाई में गृह सचिव उसकी हिरासत से संबंधित मामले के पूरे रिकॉर्ड के साथ अदालत में पेश होंगे। लेकिन वह अदालत में पेश नहीं हुए। कार्यवाही के दौरान गृह सचिव की गैर मौजूदगी से नाराज अदालत ने कहा कि ‘‘महज प्रेस क्लिपिंग की बुनियाद पर किसी नागरिक को किसी विस्तारित काल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता।’’

न्यायाधीश सैयद मजहर अली अकबर नकवी ने कहा, ‘‘सरकार का बर्ताव दिखाता है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। अदालत के सामने अगर कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया गया तो याचिकाकर्ताओं की हिरासत रद्द कर दी जाएगी।’’ डिप्टी अटार्नी जनरल के साथ आए गृह मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने अदालत को बताया कि इस्लामाबाद में अपरिहार्य सरकारी जिम्मेदारी के चलते गृह सचिव पेश नहीं हो पाए। डिप्टी अटार्नी जनरल ने याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।

जस्टिस नकवी ने अफसोस जताया कि एक सरकारी शख्सियत के बचाव के लिए अफसरों की फौज दी गई है लेकिन अदालत की मदद के लिए एक भी अधिकारी उपलब्ध नहीं है। सईद के वकील एके डोगर ने दलील दी कि सरकार ने जमात उद-दावा के नेताओं को अंदेशों और सुनी सुनाई चीजों के बुनियाद पर नजरबंद किया है। किसी कानून के तहत बिना किसी सबूत के किसी कयास और कल्पना से कोई अंदेशा नहीं बनता।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया था कि आंतक का मास्टरमाइंड हाफिज सईद पाकिस्तान के लिए ‘एक दायित्व’ है। हालांकि उनकी सरकार को इस दायित्व से छुटकारा पाने के लिए समय लगेगा। न्यूयॉर्क स्थित एशिया सोसायटी सेमिनार में ख्वाजा आसिफ ने कहा था, “ये कहना बहुत आसान है कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क, हाफिज सईद और लश्कर-ए-तयैबा का समर्थन करता है। लेकिन इनसे छुटकारा पाने में हमें थोड़ा समय लगेगा। क्योंकि इन दायित्वों से छुटकारा पाने के लिए हमारे पास अभी संपत्ति नहीं है।”

 

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