सेहत- नेत्रशोथ यानी कंजंक्टिवाइटिस
बरसात जितना आनंददायक होती है, उसके बाद उतनी ही बीमारियों की आशंका भी बनी रहती है। बरसात के बाद जगह-जगह पानी जमा होने, कचरे के सड़ने-गलने, जगह-जगह घास उग आने की वजह से वातावरण में तरह-तरह के बैक्टीरिया और वायरस पैदा हो जाते हैं। बरसात के बाद जब तेज धूप निकलती है, तब ऐसे संक्रामक विषाणु तेजी से फैलते हैं। ये अनेक बीमारियां फैलाते हैं, जिनमें से एक नेत्रशोथ यानी आंख आना भी है। इसे ‘पिंक आई’ या ‘कंजंक्टिवाइटिस’ भी कहा जाता है। कंजंक्टिवाइटिस आंख की बाहरी परत कंजंक्टिवा और पलक की अंदरूनी सतह के संक्रमण को कहते हैं। यह आमतौर पर एलर्जी या संक्रमण (सामान्यतया विषाणु यानी वायरस और कभी-कभी जीवाणु यानी बैक्टीरिया) से होता है। यह संक्रमण अधिकतर मनुष्य में होता है, पर कहीं-कहीं कुत्तों में भी पाया गया है। कंजंक्टिवाइटिस को बोलचाल की भाषा में आंख आना कहते हैं। इसकी वजह से आंखें लाल, सूजन युक्त, चिपचिपी (कीचड़युक्त) होने के साथ-साथ उनमें बाल जैसी चुभने की समस्या भी हो सकती है।
कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर तीन प्रकार की होती है- बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस, वायरल कंजंक्टिवाइटिस और एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस। बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस : इसमें दोनों आंखों से बहुत अधिक कीचड़ आता रहता है। इसकी वजह से कई बार सोकर उठने पर पलकें एक साथ चिपक जाती हैं। इसमें डॉक्टरी सलाह से एंटीबायोटिक ड्रॉप्स या आॅइंटमेंट का इस्तेमाल करें। वायरल कंजंक्टिवाइटिस : कीचड़युक्त पानी का आना, एक आंख से पानी आना। आमतौर पर यह संक्रमण पहले एक आंख में होता है, मगर आसानी से दूसरी आंख में भी फैल सकता है। गुनगुने या फिर नमक मिले पानी या बोरिक एसिड पाउडर से दिन में कई बार आंखों को धोने से आराम मिलता है। डॉक्टरी सलाह लें।
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस : इसका लक्षण है दोनों आंखों से पानी आना, खुजली होना और लाली आना। यह आमतौर पर दोनों आंखों को प्रभावित करता है।
बैक्टीरियल और वायरल कंजंक्टिवाइटिस बहुत तेजी से फैलने वाला रोग है। यह परिवार और डॉक्टर की क्लिनिक में आए लोगों में बहुत तेजी से फैल सकता है। अगर आप या आपका बच्चा आंखों के संक्रमण का शिकार हो गया है, तो परिवार के सभी सदस्य साफ-सफाई पर खास ध्यान दें। अच्छी तरह हाथ धोएं, रोगी के तौलिए, रूमाल आदि का इस्तेमाल न करें और तकिए का कवर रोजाना बदलें। धैर्य रखें, डॉक्टर के बताए निर्देशों का पालन करें, कुछ दिनों में कंजंक्टिवाइटिस ठीक हो जाती है।वायरल कंजंक्टिवाइटिस का कोई इलाज नहीं किया जाता, क्योंकि आमतौर पर एक हफ्ते में यह अपने आप ठीक हो जाता है। इसमें बोरिक एसिड से आंखों को धोना ठीक रहता है। एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस में नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लेमेट्री मेडिकेशन की जरूरत होती है और बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस में बैक्टीरियल आई ड्रॉप इस्तेमाल करने को कहा जाता है।
’ नेत्रशोथ से बचने के लिए दिन में कम से कम तीन-चार बार साफ पानी से आंखों को धोएं।
’जब भी घर से बाहर निकलें, काला चश्मा पहनें।
’कंजंक्टिवाइटिस बच्चों में सबसे अधिक फैलता है। वे धूप और बारिश में बिना किसी चीज की परवाह किए, खेलते रहते हैं, इसलिए उनकी आंखों में धूल-मिट्टी के कण पड़ने की आशंका अधिक रहती है। बरसात के समय ये धूल कण आंखों में संक्रमण पैदा करते हैं।
’ बच्चों को खेलने जाते समय खास सावधानी बरतने को कहें। जब भी वे खेल कर लौटें, उनके हाथ-पांव जरूर धुलवाएं और आंखों में पानी के छींटे लगवाएं।
’बच्चों को जब भी तरणताल यानी स्विमिंगपूल में भेजें, तैरने वाले चश्मे का इस्तेमाल जरूर करने को कहें।
’अगर कंजंक्टिवाइटिस हो गया है तो गुनगुने पानी में थोड़ा नमक या बोरिक पाउडर डाल कर आंखों को बार-बार धोएं।
’आंखों में खुजली हो तो रगड़ें नहीं, बल्कि उन्हें धोएं।
’इसके लिए घरेलू उपचार भी किया जा सकता है। पानी में नीम के पत्तियां उबाल कर आंखों को धोएं। नीम की पत्तियों को आंखों पर रख कर कपड़े से बांध लें और सो जाएं। रात भर में आराम मिलेगा।
’रात को सोने से पहले आंखों के ऊपर गाय का घी लगाएं और कपड़े से बांध कर सो जाएं।
’गरम चावल में गाय का घी डाल कर सहन कर सकने लायक स्थिति में उसकी पिट्ठी आंखों पर रख कर कपड़े से बांध लें और सो जाएं, आराम मिलेगा।
’नमक में शहद मिला कर आंखों पर लगाने से भी कंजंक्टिवाइटिस में आराम मिलता है।
’हल्दी एक अच्छा एंटीबायोटिक है। एक चम्मच हल्दी पाउडर को एक गिलास पानी में उबालें। पानी एक चौथाई रह जाए तो उसे साफ महीन कपड़े से छान कर रख लें। थोड़ी-थोड़ी देर बाद इसकी एक-एक बूंद आंखों में डालें। नेत्रशोथ दूर हो जाएगा।
’अगर तकलीफ अधिक है, तो डॉक्टर को दिखाएं। १